List of top Hindi Elective Questions asked in CBSE Class Twelve Board Exam

निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए : 
यह जो मेरे सामने कुटज का लहराता पौधा खड़ा है वह नाम और रूप दोनों में अपनी अपराजेय जीवनी शक्ति की घोषणा कर रहा है। इसीलिए यह इतना आकर्षक है। नाम है कि हज़ारों वर्ष से जीता चला आ रहा है। कितने नाम और गए। दुनिया उनको भूल गई, वे दुनिया को भूल गए। मगर कुटज है कि संस्कृत की निरंतर स्फीतमान शब्द राशि में जो जमके बैठा, सो बैठा ही है। और रूप की तो बात ही क्या है! बलिहारी है इस मादक शोभा की। चारों ओर कुपित यमराज के दारुण निःश्वास के समान धधकती लू में यह हरा भी है और भरा भी है, दुर्जन के चित्त से अधिक कटोरे पापजन की कारा में रूंधा अजात जलस्तोत्र से बरबस रस खींचकर सरस बना हुआ है।

निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए :
कुटज के ये सुंदर फूल बहुत बुरे तो नहीं हैं। जो कालिदास के काम आया हो उसे ज़्यादा इज़्ज़त मिलनी चाहिए। मिली कम है। पर इज़्ज़त तो नसीब की बात है। रहीम को मैं बड़े आदर के साथ स्मरण करता हूँ। दरियादिल आदमी थे, पाया सो लुटाया। लेकिन दुनिया है कि मतलब से मतलब है, रस चूस लेती है, छिलका और गुठली फेंक देती है। सुना है, रस चूस लेने के बाद रहीम को भी फेंक दिया था। एक बादशाह ने आदर के साथ बुलाया, दूसरे ने फेंक दिया। हुआ ही करता है। इससे रहीम का मोल घट नहीं जाता। उनकी फक्कड़ाना मस्ती कहीं गई नहीं। अच्छे-ख़ासे कद्रदान थे। लेकिन बड़े लोगों पर भी कभी-कभी विघ्नाश्रु सवार होते हैं कि गलती कर बैठते हैं। मन ख़राब हुआ होगा, लोगों की बेरुख़ी और बेक़द्री से सुबक गए होंगे – ऐसी ही मनःस्थिति में उन्होंने बेचारे कुटज को भी एक चपत लगा दी।