निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए :
कुटज के ये सुंदर फूल बहुत बुरे तो नहीं हैं। जो कालिदास के काम आया हो उसे ज़्यादा इज़्ज़त मिलनी चाहिए। मिली कम है। पर इज़्ज़त तो नसीब की बात है। रहीम को मैं बड़े आदर के साथ स्मरण करता हूँ। दरियादिल आदमी थे, पाया सो लुटाया। लेकिन दुनिया है कि मतलब से मतलब है, रस चूस लेती है, छिलका और गुठली फेंक देती है। सुना है, रस चूस लेने के बाद रहीम को भी फेंक दिया था। एक बादशाह ने आदर के साथ बुलाया, दूसरे ने फेंक दिया। हुआ ही करता है। इससे रहीम का मोल घट नहीं जाता। उनकी फक्कड़ाना मस्ती कहीं गई नहीं। अच्छे-ख़ासे कद्रदान थे। लेकिन बड़े लोगों पर भी कभी-कभी विघ्नाश्रु सवार होते हैं कि गलती कर बैठते हैं। मन ख़राब हुआ होगा, लोगों की बेरुख़ी और बेक़द्री से सुबक गए होंगे – ऐसी ही मनःस्थिति में उन्होंने बेचारे कुटज को भी एक चपत लगा दी।