निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर दिए गए बहुविकल्पी प्रश्नों के उत्तर के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चयन कर लिखिए :
“नहीं मायाजी! ज़मीन-जायदाद अभी भी कुछ कम नहीं। जो है, वही बहुत है। टूट भी गई है, है तो आखिर बड़ी हवेली ही। ‘समाँन’ नहीं है, वह बात ठीक है। मगर, बड़ी बुढ़िया का तो सारा गाँव ही परिवार है। हमारे गाँव की लक्ष्मी है बड़ी बुढ़िया। ... गाँव की लक्ष्मी गाँव को छोड़कर शहर कैसे जाएगी? अरे, देवर लोग हर बार आकर ले जाने की ज़िद करते हैं।”
बूढ़ी माता ने अपने हाथ हरगोबिन को जलपान लाकर दिया, “पहले थोड़ा जलपान कर लो, बबुआ!”
जलपान करते समय हरगोबिन को लगा, बड़ी बुढ़िया दालान पर बैठी उसकी राह देख रही है — भूखी-प्यासी...। रात में भोजन करते समय भी बड़ी बुढ़िया मानो सामने आकर बैठ गई... कर्ज़-उधार अब कोई देता नहीं... एक पेट तो करना भी पालता है, लेकिन मैं?... माँ से कहना...!
हरगोबिन ने थाली की ओर देखा — दाल-भात, तीन किस्म की भाजी, घी, पापड़, अचार... बड़ी बुढ़िया बख्शा-साग़ा खलाकर खा रही होगी।
बूढ़ी माता ने कहा, “क्यों बबुआ, खाते क्यों नहीं?”
“मायाजी, पेटभर जलपान जो कर लिया है।”
“अरे, जवान आदमी तो पाँच बार जलपान करके भी एक थाल भात खाता है।”
हरगोबिन ने कुछ नहीं खाया। खाया नहीं गया।
संवेदना टकरा उठता है जैसे ‘अफर’ कर लेता है, किंतु हरगोबिन को नींद नहीं आ रही है... वह उसने क्या किया? क्या कर दिया? वह किसलिए आया था? वह खुद क्यों बोलता?... नहीं, नहीं, सुबह उठते ही वह बूढ़ी माता से बड़ी बुढ़िया को न भेजे जाने की सिफारिश करेगा... अक्षर-अक्षर॥