Question:

‘वसंत आया’ कविता की मूल संवेदना स्पष्ट कीजिए। 
 

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वसंत = जीवन का प्रतीक — जहां भी नई शुरुआत हो, वहां वसंत खिल उठता है।
Updated On: Jul 24, 2025
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Solution and Explanation

‘वसंत आया’ कविता में वसंत ऋतु के आगमन को केवल प्राकृतिक परिवर्तन के रूप में नहीं, बल्कि एक मानवीय और सांस्कृतिक उत्सव के रूप में चित्रित किया गया है। कवि ने वसंत को प्रकृति की पुकार, जीवन की पुनरावृत्ति और आनंद की अनुभूति के रूप में प्रस्तुत किया है।
(1) कविता की मूल संवेदना है — आशा, उल्लास और नवसृजन की भावना।
(2) वसंत केवल पेड़-पौधों के खिलने का समय नहीं, बल्कि हृदय के भीतर एक नई अनुभूति के प्रस्फुटन का समय है।
(3) कविता में वसंत का स्वागत एक मित्र, एक प्रियजन की तरह किया गया है — जैसे जीवन में फिर से उम्मीद लौट आई हो।
(4) फूलों की गंध, कोयल की पुकार, पत्तों की हरियाली — ये सभी प्रकृति के सौंदर्य को हृदय से जोड़ती हैं।
(5) इस कविता के माध्यम से कवि ने यह बताया है कि मनुष्य यदि प्रकृति के साथ जुड़े, तो उसका जीवन भी वसंतमय हो सकता है।
निष्कर्ष: ‘वसंत आया’ केवल ऋतु-परिवर्तन नहीं, बल्कि चेतना का उत्सव है। इसकी मूल संवेदना यही है कि प्रत्येक ठहराव के बाद गति आती है, हर पतझड़ के बाद वसंत लौटता है।
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