निम्नलिखित काव्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए :
कभी सई–साँझ
बिना किसी सूचना के
घुस जाओ इस शहर में
कभी आरती के आलोक में
इसे अचानक देखो
असंपृक्त है इसकी बनावट
यह आधा जल में है
आधा मंत्र में
आधा फूल में है
आधा शव में
आधा नींद में है
आधा शंख में
अगर ध्यान से देखो
तो यह आधा है
और आधा नहीं है
‘‘है दीप एक ....... सूर्य से भी भारी’’ — पंक्ति का आशय है —
‘इंसानी जीवन की रात मिटा’ — से क्या अभिप्राय है ?
कॉलम-1 को कॉलम-2 से सुसंगत कीजिए और सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए:
“इंसान स्वयं सवेरा का रूप धारण कर आ रहा है” — पंक्ति के माध्यम से किसे क्या चेतावनी दी गई है ?
‘वनखंड जलाती है एक चिनगारी’’ — पंक्ति से क्या अभिप्राय है ?
विचार करने और उन्हें व्यक्त करने की प्रक्रिया निबंध लेखन के परिचित विषयों के साथ क्यों नहीं हो पाती ?
नाटकलेख और फिल्म-पटकथा से रेडियो नाट्यलेखन किस प्रकार भिन्न है? स्पष्ट कीजिए।