Question:

झोंपड़ी में रूपयों का होना सूरदास के लिए कैसी बात थी ? यह समाज की किस मानसिकता का पता देती है ? क्या आप इस प्रकार की सोच से सहमत हैं ? तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए। 
 

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जब प्रश्न सामाजिक मानसिकता से जुड़ा हो, तो पात्र की स्थिति, समाज की प्रतिक्रिया और आपकी दृष्टि तीनों को जोड़कर उत्तर दें।
Updated On: Jul 30, 2025
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Solution and Explanation

झोंपड़ी में रूपयों का होना सूरदास जैसे निर्धन और नेत्रहीन व्यक्ति के लिए असामान्य और अकल्पनीय बात मानी गई। समाज ने यह मान लिया था कि सूरदास जैसे व्यक्ति के पास धन नहीं हो सकता, इसलिए जब वहाँ पैसे मिले तो समाज के मन में संदेह उत्पन्न हुआ।
यह समाज की उस संकीर्ण मानसिकता को दर्शाता है जहाँ निर्धन व्यक्ति को सदैव ईमानदारी की परीक्षा देनी पड़ती है। लोगों ने यह नहीं सोचा कि सूरदास पर विश्वास करना चाहिए, बल्कि उसकी ईमानदारी पर सवाल उठाए गए।
सूरदास की स्थिति दयनीय होते हुए भी उसके चरित्र में दृढ़ता, स्वाभिमान और आत्मसम्मान था। उसने साहसपूर्वक अपने ऊपर लगे आरोपों का खंडन किया और न्याय के लिए सत्य को उजागर किया।
मैं इस मानसिकता से सहमत नहीं हूँ। हमें निर्धनता को ईमानदारी से नहीं जोड़ना चाहिए। निर्धन व्यक्ति भी चरित्रवान, सच्चा और निष्ठावान हो सकता है। यह सोच हमें मानवीय संवेदना और सामाजिक न्याय की दिशा में आगे बढ़ने से रोकती है।
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