निम्नलिखित पंक्तियों में से किसी एक की सप्रसंग व्याख्या कीजिए:
“हरगोविन भाई, तुमको एक संवाद ले जाना है। आज ही। बोलो, जाओगे न?”
“कहाँ?”
“मेरी माँ के पास।”
हरगोविन बड़ी बहुरिया की छलछलाई आँखों में डूब गया, “कहिए, क्या संवाद है?”
संवाद सुनाते समय बड़ी बहुरिया सिसकने लगी। हरगोविन की आँखें भी भर आईं।
बड़ी हवेली की लक्ष्मी को पहली बार इस तरह सिसकते देखा है हरगोविन ने।
वह बोला, “बड़ी बहुरिया, दिल को कड़ा कीजिए।”
“और कितना कड़ा करूँ दिल?... माँ से कहना, मैं भाई-भाभियों की नौकरी करके पेट पालूँगी।
बच्चों की जूठन खाकर एक कोने में पड़ी रहूँगी, लेकिन यहाँ अब नहीं... अब नहीं रह सकूँगी।
कहना, यदि माँ मुझे यहाँ से नहीं ले जाएगी तो मैं किसी दिन गढ़ा बाँधकर पोखरे में डूब मरूँगी...
बघेला-साग खाकर कब तक जीऊँ? किसलिए... किसके लिए?”