Comprehension

निम्नलिखित पवित्र काव्यांश को पढ़कर प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्पों का चयन कर लिखिए :

पुलकि सरीर सभाँ भए ठाढे । नीरज नयन नेह जल बाढे ॥ 
कबहुँ भरे मुनिनाथ निबाहा । एहि ते अधिक कहाँ मैं काहा ॥ 

मैं जानउँ प्रभु नाथ सुभाऊ । अपराधि पर कोप न राउ ॥ 
मो पर कृपा सदेइ बिसेषी । खेलत खुशी न कहूँ देखी ॥ 

सिपुन्स में परिहउँ न संगू । कबहुँ न कीन्ह मोर मन भंगू ॥ 
हे प्रभु कृपा तिन्ह जियं जोही । हारहूँ खेल जितावहिं मोही ॥ 

मूंह नहेइ सकौं बस समुख कह न बैसि । 
दास तृपति न आतु लगी पाप पियाउस नै ॥ 
 

Question: 1

‘कबहुँ न कीन्ह मोर मन भंग’ पंक्ति के माध्यम से राम के प्रति भरत के किस विश्वास का परिचय मिलता है?
(I) राम उनके आग्रह पर अयोध्या लौट चलेंगे।
(II) राम भरत से बहुत प्रेम करते हैं।
(III) राम उनका मन नहीं तोड़ेंगे।
(IV) राम उन्हें क्षमा कर देंगे।

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पद्यांश का भावार्थ केवल शाब्दिक नहीं, आत्मीय होना चाहिए — तभी सही विकल्प चुना जा सकता है।
Updated On: Jul 21, 2025
  • केवल (I)
  • केवल (III)
  • (I) और (III) दोनों
  • (II) और (IV) दोनों
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The Correct Option is C

Solution and Explanation

‘कबहुँ न कीन्ह मोर मन भंग’ — इस पंक्ति में भरत की राम पर गहन श्रद्धा और विश्वास झलकता है।
भरत को यह पूर्ण विश्वास है कि राम उनके आग्रह को टालेंगे नहीं।
वे मानते हैं कि राम कभी उनका मन नहीं तोड़ते, और यदि वे मन से विनती करेंगे, तो राम अवश्य अयोध्या लौटेंगे।
इस विश्वास से यह संकेत मिलता है कि भरत के लिए राम केवल भाई ही नहीं, बल्कि आदर्श भी हैं, जो सदा उनकी भावना का आदर करते हैं।
इस प्रकार (I) “राम उनके आग्रह पर अयोध्या लौट चलेंगे” और (III) “राम उनका मन नहीं तोड़ेंगे” — दोनों कथन उपयुक्त हैं।
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Question: 2

राम की किस प्रकृति का वर्णन यहाँ किया गया है?

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जब किसी पात्र की विशेषता पूछी जाए, तो मूल शब्दों और विशेषणों पर ध्यान दें — जैसे “कृपा”, “भीख”, “कृपालु”।
Updated On: Jul 21, 2025
  • कृपापूर्ण
  • क्षमापूर्ण
  • दयापूर्ण
  • प्रेमपूर्ण
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The Correct Option is A

Solution and Explanation

पद्यांश की पंक्तियों में “मैं प्रभु कृपा भीख जोंही” और “त्रिलोकनाथ अति कृपालु” जैसे शब्दों का प्रयोग हुआ है।
इन पंक्तियों में कवि भरत यह संकेत करते हैं कि राम परम कृपालु हैं, जो सभी पर कृपा दृष्टि बनाए रखते हैं।
यह ‘कृपापूर्ण’ स्वभाव उनके चरित्र की विशेषता है — वे करुणा और भक्ति से भरकर भक्तों की प्रार्थना स्वीकार करते हैं।
भरत को आशा है कि प्रभु उनकी भी प्रार्थना स्वीकार करेंगे, क्योंकि वे कृपा के सागर हैं।
इसलिए विकल्प (A) “कृपापूर्ण” राम की प्रकृति का सबसे उपयुक्त वर्णन है।
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Question: 3

निम्नलिखित कथन तथा कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए:
कथन: भरत ने राम के समक्ष कभी मुँह नहीं खोला।
कारण: शिष्टाचार की परंपरा रही है कि बड़ों के सामने विनम्रता का व्यवहार किया जाता है।

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‘कथन-कारण’ आधारित प्रश्नों में यह अवश्य देखें कि क्या कारण वास्तव में कथन को स्पष्ट करता है या केवल संबंधित लगता है।
Updated On: Jul 21, 2025
  • कथन गलत है किंतु कारण सही है।
  • कथन और कारण दोनों गलत हैं।
  • कथन सही है किंतु कारण, कथन की सही व्याख्या नहीं है।
  • कथन और कारण दोनों सही हैं तथा कारण, कथन की सही व्याख्या है।
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The Correct Option is D

Solution and Explanation

कथन सही है क्योंकि तुलसीदासजी के अनुसार भरत अत्यंत विनयी, मर्यादित और संयमी चरित्र हैं।
उन्होंने राम के समक्ष कभी अनुचित ढंग से अपनी बात नहीं रखी और सदा मर्यादा का पालन किया।
कारण भी उचित है — भारतीय संस्कृति में बड़ों के सामने शांत, शालीन और नम्र व्यवहार की परंपरा रही है।
भरत के व्यवहार में यह शिष्टाचार पूरी तरह परिलक्षित होता है।
इसलिए दोनों कथन और कारण सही हैं तथा कारण, कथन की उपयुक्त व्याख्या करता है।
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Question: 4

भरत ने राम के स्वभाव की किस विशेषता का उल्लेख किया है?

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जब स्वभाव की विशेषता पूछी जाए, तो पात्र की सबसे विशिष्ट और चरम प्रतिक्रिया पर ध्यान दें — जैसे राम की क्रोधहीनता।
Updated On: Jul 21, 2025
  • दूसरों पर दया करने की
  • शत्रु को क्षमा करने की
  • अपराधी पर भी क्रोध न करने की
  • शरणागत पर कृपा करने की
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The Correct Option is C

Solution and Explanation

पद्यांश में भरत राम के उस स्वभाव का वर्णन करते हैं जिसमें वे अत्यंत शांत, संयमी और क्षमाशील हैं।
भरत कहते हैं कि राम तो ऐसे हैं कि वे अपराधी पर भी क्रोध नहीं करते, और किसी का भी अपकार नहीं सोचते।
उनका यह भाव उनके ‘मर्यादा पुरुषोत्तम’ स्वरूप को प्रमाणित करता है।
यह विशेषता केवल उदारता नहीं बल्कि पूर्ण आत्मसंयम और क्षमा के आदर्श को दर्शाती है।
इसलिए विकल्प (C) “अपराधी पर भी क्रोध न करने की” सबसे उपयुक्त है।
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Question: 5

‘पुलकि सरीर सभाँ भए ठाड़े’ — पंक्ति के माध्यम से किसकी मनोदशा का वर्णन किया गया है?

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पद में प्रयुक्त क्रियाओं (जैसे “पुलकि”, “सभाँ भए ठाड़े”) के आधार पर पात्र की पहचान करें — ये मनोदशा के संकेत होते हैं।
Updated On: Jul 21, 2025
  • भरत
  • राम
  • लक्ष्मण
  • कैकेयी
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The Correct Option is A

Solution and Explanation

‘पुलकि सरीर सभाँ भए ठाड़े’ — इस पंक्ति में “पुलकित शरीर” और “स्तब्ध खड़े रह जाना” जैसे भावों से भरत की मनोदशा को चित्रित किया गया है।
भरत राम के दर्शन से अत्यंत भावविभोर हो जाते हैं।
वे इतने अधिक भावुक और श्रद्धावान हो जाते हैं कि उनका शरीर रोमांचित हो उठता है और वे अवाक् होकर खड़े रह जाते हैं।
यह चित्रण केवल भौतिक स्थिति नहीं, बल्कि भरत की आत्मिक भक्ति और राम के प्रति अटूट प्रेम को दर्शाता है।
इसलिए सही उत्तर है — (A) भरत।
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