Question:

‘सूरदास की झोंपड़ी’ पाठ के संदर्भ में सच्चे खिलाड़ी की पहचान बताते हुए उदाहरण सहित सिद्ध कीजिए कि सूरदास जीवन रूपी संयम का सच्चा खिलाड़ी था। 
 

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एक सच्चे खिलाड़ी की पहचान केवल मैदान में नहीं, जीवन की कठिन परिस्थितियों में भी होती है — पाठ में इस बात को गहराई से रेखांकित किया गया है।
Updated On: Jul 21, 2025
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Solution and Explanation

सूरदास की झोंपड़ी पाठ में सूरदास एक दृष्टिहीन व्यक्ति होते हुए भी आत्मबल, सहिष्णुता और समाज-कल्याण की भावना से ओतप्रोत जीवन जीता है।
वह मात्र शब्दों का ही नहीं, बल्कि आचरण का भी सच्चा साधक है। जब हरगोविंद जैसे स्वार्थी व्यक्ति द्वारा उसे उखाड़ने की कोशिश होती है, तब भी वह न तो क्रोधित होता है और न ही किसी से प्रतिशोध की भावना रखता है।
सूरदास सामाजिक न्याय के लिए प्रतिबद्ध है और अपने अधिकारों के लिए दृढ़ता से खड़ा होता है।
सच्चे खिलाड़ी की यही पहचान होती है कि वह हार-जीत की परवाह किए बिना निरंतर प्रयत्न करता है।
सूरदास ने न केवल अपने संयम और सहनशीलता से संघर्ष किया, बल्कि समाज को यह सिखाया कि विपरीत परिस्थितियों में भी आत्मबल ही सबसे बड़ी शक्ति है।
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