Question:

‘जो है वह सुलगाता है। जो नहीं है वह फेंकने लगता है पचाखियाँ’ — पंक्ति के सन्दर्भ में ‘सुलगाने’ और ‘पचाखियाँ फेंकने’ का आशय स्पष्ट कीजिए। 
 

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कविता में क्रियाओं के प्रतीकात्मक अर्थ निकालना अनिवार्य होता है — विशेषकर जब वे भावनात्मक या बौद्धिक द्वंद्व को दर्शाती हैं।
Updated On: Jul 21, 2025
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Solution and Explanation

इस पंक्ति में गहन प्रतीकात्मक भाषा का प्रयोग हुआ है।
‘जो है वह सुलगाता है’ — इसका अर्थ है कि जिसके पास सोच, चेतना और संवेदना है, वह अपने भीतर मंथन करता है, संघर्ष करता है, जलता है।
वह सृजन की पीड़ा से गुजरता है।
जबकि ‘जो नहीं है’ — यानी जो खोखला है, ज्ञानविहीन है — वह केवल शोर करता है, दिखावे की क्रियाएँ करता है।
‘पचाखियाँ फेंकने’ का आशय है — सतही प्रदर्शन करना, केवल उपस्थिति जताना।
यह अंतर दर्शाता है कि गहराई वाले लोग अंदर से ‘सुलगते’ हैं और खोखले लोग बाहरी शोर में मग्न रहते हैं।
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