Question:

निम्नलिखित पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए:

कहते हैं, पर्वत शोभा-निकेतन होते हैं। फिर हिमालय का तो कहना ही क्या! 
पूर्व और अपर समुद्र-महौदधि और रत्नाकर – दोनों को दोनों भुजाओं से थामता हुआ 
हिमालय ‘पृथ्वी का मानदंड’ कहा जाए तो गलत क्या है? कालिदास ने ऐसा ही कहा था। 
इसी के पाद-देश में यह श्रृंखला दूर तक लोटी हुई है, लोग इसे शिवालिक श्रृंखला कहते हैं। 
‘शिवालिक’ का क्या अर्थ है? ‘शिवालिक’ या शिव के जटाजूट का निचला हिस्सा तो नहीं है। 
लगता तो ऐसा ही है। शिव की लटियायी जटा ही इतनी सूखी, नीरस और कठोर हो सकती है। 
वैसे, अलकनंदा का स्रोत यहाँ से काफी दूरी पर है, लेकिन शिव का अलक तो दूर-दूर तक 
छितराया ही रहता होगा। संपूर्ण हिमालय को देखकर तो किसी के मन में समाधिस्थ महादेव की 
मूर्ति स्पष्ट हुई होगी।

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जब व्याख्या में प्रतीकात्मक भाषा (जैसे ‘शिव की जटा’) हो, तो उसे केवल भाव नहीं बल्कि संदर्भ और संस्कृति से भी जोड़कर समझना चाहिए।
Updated On: Jul 21, 2025
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Solution and Explanation

यह गद्यांश भारत के सांस्कृतिक गौरव — हिमालय — की महिमा और उसके पौराणिक, भौगोलिक तथा साहित्यिक महत्व का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है। लेखक यहाँ हिमालय की भव्यता को ‘पृथ्वी का मानदंड’ कहते हुए न केवल कालिदास की प्रशंसा को उद्धृत करते हैं, बल्कि उसे शिव से जोड़कर एक गूढ़ प्रतीकात्मक व्याख्या भी करते हैं।
हिमालय के सौंदर्य और उसकी दिव्यता को ‘शोभा-निकेतन’ कहकर लेखक उसकी भव्यता को मानवीय सौंदर्य के रूप में प्रस्तुत करते हैं। इसके दोनों ओर फैले समुद्र और रत्नाकर को उसकी भुजाओं से पकड़ते हुए दर्शाया गया है, जिससे यह एक विराट देवशक्ति का आभास देता है।
‘शिवालिक’ शब्द की व्युत्पत्ति पर लेखक की व्यंजना-शक्ति भी प्रकट होती है। वे इसे शिव की ‘जटा’ का रूप मानते हैं — जो सूखी, नीरस और कठोर हैं — ठीक शिव के व्रत और संयम की तरह। इस कल्पना से लेखक एक ठोस भौगोलिक रूप को आध्यात्मिक प्रतीक में रूपांतरित करते हैं।
शिव का ‘अलक’ — अर्थात अलकनंदा — और उनका समाधिस्थ रूप हिमालय की ऊँचाइयों में लेखक को स्पष्ट दिखाई देता है। यह पर्यावरण और अध्यात्म, भूगोल और संस्कृति का एक सुंदर समन्वय प्रस्तुत करता है।
इस गद्यांश में शैली की सौंदर्यात्मकता, गहन सांस्कृतिक चेतना और कल्पनाशीलता का अद्भुत समावेश है, जिससे हिमालय केवल एक पर्वत न रहकर भारतीय चेतना का मूर्त रूप बन जाता है।
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