List of practice Questions

निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

जहाँ भूमि पर पड़ा कि 
सोना धँसता, चाँदी धँसती 
धँसती ही जाती पृथ्वी में 
बड़ों–बड़ों की हस्ती। 

शक्तिवान जो हुआ कि 
बैठा भू पर आसन मारे 
खा जाते हैं उसको 
मिट्टी के ढेले हत्यारे। 

मातृभूमि है उसकी, जिसका 
उठके जीना होता है, 
दहन–भूमि है उसकी, जो 
क्षण–क्षण गिरता जाता है, 
भूमि खींचती है मुझको भी 
नीचे धीरे–धीरे 
किंतु लहराता हूँ मैं नभ पर 
शीतल–मंद–समीर। 

काला बादल आता है 
गुरु गर्जन स्वर भरता है 
विद्रोही–मस्तक पर वह 
अभिषेक किया करता है। 
विद्रोही हैं हमीं, हमारे 
फूलों से फल आते हैं 
और हमारी कुरबानी पर 
जड़ भी जीवन पाते हैं। 
 

निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

सौरमंडल में पृथ्वी ही एकमात्र ऐसा ग्रह है, जिस पर जीवन संभव है। पृथ्वी और उसके पर्यावरण को बचाने के संकल्प के साथ ‘पृथ्वी दिवस’ हर साल 22 अप्रैल को दुनिया भर में मनाया जाता है। इसे मनाने की शुरुआत 1970 में हुई जब अमेरिकी सांसदों तक बढ़ते प्रदूषण की बिगड़ती पर्यावरण के मुद्दे की गंभीरता को समझा और पृथ्वी बचाने के लिए एक अभियान की शुरुआत हुई। उस कार्यक्रम में देखे आंकड़े, जैसे ऑक्सीजन के स्तर में गिरावट तथा जल, वायु और मृदा प्रदूषण आदि पर्यावरण के आने वाले विनाशकारी स्वरूप को दर्शाते हैं, जिसमें प्लास्टिक का बढ़ता प्रयोग प्लास्टिक को समाप्त करने और प्राकृतिक बचाव का आह्वान करता है।

कहते हैं जैसे-जैसे आत्मकेंद्रितता बढ़ रही है, प्रकृति और पर्यावरण के दोहन की गति भी बढ़ती जा रही है। बढ़ते अंधविकास के कारण वह दिन बहुत दूर नहीं, जब पृथ्वी रहने लायक नहीं बचेगी।

हमने। वास्तव में हम ही हैं जो सभी जगह जा सकते, अनुभव–अनुभूति विनिमयहीनता की समझ और पृथ्वी के प्रति अपने कर्तव्यों द्वारा। गान्धीजी का मानना था कि पृथ्वी, जल, वायु और भूमि हमारे पूर्वजों की संपत्ति नहीं हैं, जिन्हें हम अपने मनमाने और निजी फायदे की अपेक्षा में खो दें। हमें अपने पूर्वजों की संपत्ति अपने बच्चों–बच्चों तक पहुँचानी होती है। गांधीजी का कथन था कि पृथ्वी के पास लोगों की जरूरतें पूरी करने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं, लेकिन लोभ के लिए नहीं।

आज पारंपरिक मान्यता है कि पृथ्वी एक जीवंत इकाई है, इसका समस्त रूप, जलवायु, जीवन–जंतु इसके जीवंत होने की पुष्टि करते हैं। भौगोलिक स्थिति की दृष्टि से स्पष्ट है कि पृथ्वी प्रकृति का सर्वोत्तम उपहार है। इसका कोई विकल्प नहीं। इसीलिए 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस के रूप में मनाना तभी सार्थक है जब हम संकल्प लें कि इस दिशा में संजीदगी से सोचें और कार्य करें। प्रकृति को सौंदर्य का साधन न बनाएं बल्कि जीवन रक्षक आधार मानें। इसके लिए हमें सामूहिक चेतना, प्रयास और संकल्प की दिशा में जीवन को नए सिरे से सजाना होगा।