Comprehension

निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

जहाँ भूमि पर पड़ा कि 
सोना धँसता, चाँदी धँसती 
धँसती ही जाती पृथ्वी में 
बड़ों–बड़ों की हस्ती। 

शक्तिवान जो हुआ कि 
बैठा भू पर आसन मारे 
खा जाते हैं उसको 
मिट्टी के ढेले हत्यारे। 

मातृभूमि है उसकी, जिसका 
उठके जीना होता है, 
दहन–भूमि है उसकी, जो 
क्षण–क्षण गिरता जाता है, 
भूमि खींचती है मुझको भी 
नीचे धीरे–धीरे 
किंतु लहराता हूँ मैं नभ पर 
शीतल–मंद–समीर। 

काला बादल आता है 
गुरु गर्जन स्वर भरता है 
विद्रोही–मस्तक पर वह 
अभिषेक किया करता है। 
विद्रोही हैं हमीं, हमारे 
फूलों से फल आते हैं 
और हमारी कुरबानी पर 
जड़ भी जीवन पाते हैं। 
 

Question: 1

‘धँसती ही जाती पृथ्वी में बड़ों-बड़ों की हस्ती’ — पंक्ति का आशय है —

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कविता में प्रयुक्त प्रतीकों को समझने के लिए उनके पीछे के दर्शन को पकड़ने का अभ्यास करें — इससे अर्थ ग्रहण और उत्तर निर्धारण में आसानी होती है।
Updated On: Jul 21, 2025
  • पृथ्वी पर सब कुछ नश्वर है।
  • पृथ्वी में बड़े-बड़े समा जाते हैं।
  • शक्तिशालियों का जीवन क्षणभंगुर है।
  • शक्तिशालियों का अधःपतन निश्चित है।
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The Correct Option is A

Solution and Explanation

इस पंक्ति में नश्वरता की भावना को अत्यंत गहन रूप से प्रकट किया गया है।
यह बताता है कि चाहे कोई व्यक्ति कितना ही महान, शक्तिशाली या प्रभावशाली क्यों न हो,
अंततः उसका अस्तित्व भी इसी पृथ्वी में समा जाता है — अर्थात् नाश को प्राप्त हो जाता है।
‘बड़ों-बड़ों की हस्ती’ का ‘पृथ्वी में धँस जाना’ इस सच्चाई को उजागर करता है
कि संसार में कुछ भी स्थायी नहीं है।
यह जीवन की क्षणभंगुरता और विनम्रता के भाव को समझाने वाली पंक्ति है।
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Question: 2

शक्तिहीन का क्या हश्र होता है ?

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जब विकल्पों में 'अंतिम परिणाम' से जुड़ा कोई प्रश्न हो, तो सोचें कि सबसे गहन और पूर्ण प्रभाव क्या होगा — उत्तर उसी आधार पर तय करें।
Updated On: Jul 21, 2025
  • थक-हार कर बैठ जाता है।
  • लोग उनको पनपने नहीं देते।
  • लक्ष्य तक नहीं पहुँच पाते।
  • अस्तित्व नष्ट हो जाता है।
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The Correct Option is D

Solution and Explanation

यह प्रश्न जीवन की कठोर सच्चाई को उजागर करता है।
जो व्यक्ति शक्तिहीन होता है, वह संघर्षों का सामना करने में अक्षम होता है।
उसकी न तो कोई प्रभावशाली उपस्थिति होती है और न ही समाज में टिके रहने की क्षमता।
इसलिए, अंततः वह समाज और इतिहास दोनों में विलीन हो जाता है — अर्थात उसका अस्तित्व समाप्त हो जाता है।
यह विकल्प ‘अस्तित्व नष्ट हो जाता है’ न केवल सबसे उपयुक्त है, बल्कि यह विषय की गंभीरता को भी दर्शाता है।
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Question: 3

कविता के केंद्रीय भाव को दर्शाने वाले कथन है/हैं —
(I) संसार में जीने के लिए शक्तिशाली बनना पड़ेगा।
(II) हार मानने वालों के लिए मातृभूमि मरण-भूमि के समान है।
(III) यहाँ सब एक-दूसरे के विरोधी हैं।

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केंद्रीय भाव समझते समय पूरे काव्यांश के स्वर और उद्देश्य को ध्यान में रखें — केवल शब्दों से नहीं, भावना से समझें।
Updated On: Jul 21, 2025
  • केवल (I)
  • केवल (II)
  • (I) और (II) दोनों ही
  • (I) और (III) दोनों ही
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The Correct Option is C

Solution and Explanation

इस प्रश्न में कविता के केंद्रीय भाव को समझने की आवश्यकता है।
कविता का मूल संदेश यह है कि जीवन संघर्षमय है और केवल वही व्यक्ति इसमें टिक सकता है जो शक्तिशाली है।
(I) कथन इस विचार को स्पष्ट करता है कि संसार में जीवित रहने के लिए शक्ति आवश्यक है।
(II) कथन भी कविता की भावनात्मक तीव्रता को दर्शाता है — हार मानने वालों को मातृभूमि तक त्याग देती है, जो कविता में प्रयुक्त भावनात्मक अभिव्यक्ति है।
(III) कथन कविता की भावना से मेल नहीं खाता क्योंकि कविता में सामूहिक विरोध का नहीं बल्कि व्यक्ति की आंतरिक शक्ति और संघर्ष की बात है।
इसलिए सही उत्तर है: (I) और (II) दोनों ही।
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Question: 4

अपने को विद्रोही कौन और क्यों मानते हैं ?

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जब कोई कवि या लेखक स्वयं को ‘विद्रोही’ कहता है, तो उसका अर्थ केवल विरोध नहीं होता — उसमें परिवर्तन की चेतना छिपी होती है।
Updated On: Jul 21, 2025
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Solution and Explanation

इस कविता में कवि स्वयं को विद्रोही मानता है।
वह इसलिए कि वह समाज की रूढ़िवादी, पलायनवादी और निष्क्रिय सोच का विरोध करता है।
कवि शक्ति को धर्म और निर्बलता को पाप मानता है, जो उसकी विद्रोही भावना को स्पष्ट करता है।
वह जीवन की कठिनाइयों से भागने के स्थान पर उनका सामना करने और शक्तिशाली बनने को प्रेरित करता है।
कवि समाज में व्याप्त हीन भावना, आत्म-निराशा और आत्म-विस्मृति के विरुद्ध विद्रोह करता है।
उसका यह विद्रोह केवल बाह्य व्यवस्था के विरुद्ध नहीं, बल्कि आत्मबल के जागरण का आह्वान है।
वह कहता है कि जो अपनी क्षमताओं को नहीं पहचानते, वे स्वयं से ही धोखा करते हैं — और इसलिए वह अपने को सच्चा विद्रोही मानता है।
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Question: 5

इस काव्यांश के माध्यम से क्या सीख दी गई है ?

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कविता की सीख को केवल शब्दों से नहीं, भावों और प्रतीकों से भी समझें — तभी उसका मर्म स्पष्ट होता है।
Updated On: Jul 21, 2025
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Solution and Explanation

इस काव्यांश से हमें यह सीख मिलती है कि जीवन में अस्तित्व बनाए रखने के लिए शक्ति, साहस और आत्मबल आवश्यक हैं।
यह कविता जीवन को एक संघर्ष मानती है और बताती है कि केवल वे ही व्यक्ति टिकते हैं जो अपने सामर्थ्य का विकास करते हैं।
जो लोग संघर्ष से डरते हैं, जो हार मान लेते हैं — वे मिट जाते हैं, उनका कोई मूल्य नहीं रह जाता।
कवि हमें बताता है कि शक्तिहीन व्यक्ति का हश्र अस्तित्वविहीनता होता है और शक्तिशाली बनने से ही समाज में प्रतिष्ठा मिलती है।
यह कविता आत्म-निरीक्षण, आत्मबल और कर्तव्यबोध की चेतना को जाग्रत करती है।
यह हमें जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने, आत्मबल विकसित करने और समाज में योगदान देने की प्रेरणा देती है।
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Question: 6

गर्जना करने वाले बादलों का, वृक्षों के मस्तक पर अभिषेक करना क्या दर्शाता है ?

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प्राकृतिक प्रतीकों के पीछे छिपे नैतिक और दार्शनिक संकेतों को समझने का अभ्यास करें — इससे उत्तर अधिक गहन बनते हैं।
Updated On: Jul 21, 2025
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Solution and Explanation

यह पंक्ति अत्यंत प्रतीकात्मक और भाव-गर्भित है।
बादल जो आकाश में गरजते हैं — वे केवल गम्भीर ध्वनि नहीं करते, बल्कि अंततः बरसकर पृथ्वी की प्यास भी बुझाते हैं।
जब वही बादल वृक्षों के मस्तक (शीर्ष) पर जलधाराओं का अभिषेक करते हैं, तो यह दर्शाता है कि महान व्यक्ति केवल आडंबर नहीं करते, वे अपने कार्यों से भी संसार को लाभ पहुँचाते हैं।
यह पंक्ति इस बात का संकेत देती है कि शक्ति का उपयोग परोपकार में हो — यह आदर्श है।
गर्जना करने वाले बादल यदि बरसें नहीं, तो उनका अस्तित्व व्यर्थ है।
इसी तरह, जो शक्तिशाली हैं, उन्हें अपने सामर्थ्य का उपयोग दूसरों के कल्याण हेतु करना चाहिए।
यह पंक्ति हमें अहंकार रहित, सेवा भाव से युक्त सामर्थ्य की ओर प्रेरित करती है।
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