निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपर्वू र्वक पढ़कर उस पर आधारित दिए गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर लिखिए :
क्रोध दुःख के चेतन कारण के साक्षात्कार या अनुमान से उत्पन्न होता है । साक्षात्कार के समय दुःख और उसके कारण के संबंध का परीक्षण आवश्यक है । तीन–चार महीने के बच्चे को कोई हाथ उठाकर मार 3 दे, तो उसने हाथ उठाते तो देखा है पर उसकी पीड़ा और उस हाथ उठाने से क्या संबंध है, यह वह नहीं जानता है । अतः वह के वल रोकर अपना दुःख मात्र प्रकट कर देता है । दुःख के कारण की स्पष्ट धारणा के बिना क्रोध का उदय नहीं होता । दुःख के सशक्त कारण पर प्रबल प्रभाव डालने में युक्त करवाने वाला मनोविकार होने के कारण क्रोध का आविर्भाव बहुत पहले देखा जाता है । शिशुअपनी माता की आकृति से परिचित हो जाने पर ज्यों ही यह जान जाता हैकि दध इसी से ू मिलता है, भखा होने पर वह ू उसे देखते ही अपने ग़म में कुछ क्रोध का आभास देने लगता है । सामाजिक जीवन में क्रोध की ज़रूरत बराबर पड़ती है । यदि क्रोध न हो तो मनुष्य दसरों के द्वारा ू पहुँचाए जाने वाले बहुत से कष्टों की चिन्तनशीलता का उपाय ही न कर सके गा । समाज मेंनिराशा और अत्याचार का बोलबाला बढ़ जाएगा । कोई मनुष्य किसी दुःख केलिए दो-चार प्रहार सहता है । यदि उसमें क्रोध का विकास नहीं हुआ है, तो वह के वल आह–ऊह करेगा, जिसका उस दुःख पर कोई प्रभाव नहीं । उस दुःख के हृदय मेंविवेक, दया आदि उत्पन्न करने में बहुत समय लगेगा । संसार किसी को इतना समय छोटे –छोटे कष्टों केलिए नहीं दे सकता ।