बादलों से पर्वत के छिप जाने पर कवि की कल्पना, 'पर्वत प्रदेश में पावस' कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
कवि ने 'पर्वत प्रदेश में पावस' कविता में बादलों के कारण पर्वत के छिप जाने की स्थिति को एक मनोहारी और रहस्यमय दृश्य के रूप में प्रस्तुत किया है। वह कल्पना करता है कि जैसे विशाल पर्वत एक बड़े रहस्य की तरह बादलों के पीछे छुप गया हो। बादल घिर आते हैं और पर्वत धीरे-धीरे नजर से ओझल हो जाते हैं, मानो प्रकृति अपनी गोद में सब कुछ समेट ले रही हो।
इस छिपने की प्रक्रिया में कवि को प्रकृति की अनमोल छटा और उसकी मृदुता का एहसास होता है। वह बादलों को पर्वत की चादर मानता है जो उसे ठंडी ठंडी हवाओं और बूंदों से ढक देती है। इस कल्पना से पाठक को एक शांति और सौंदर्य का अनुभव होता है, जो पर्वत और बादलों के बीच के संबंध को दर्शाता है।
कुल मिलाकर, बादलों से पर्वत के छिप जाने की कल्पना प्रकृति के सौंदर्य और रहस्य को उजागर करती है, जिससे कविता में एक मनोहर और शांति पूर्ण वातावरण निर्मित होता है।
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