Comprehension

निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उस पर आधारित दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए:

यह हार एक विराम है 
जीवन महासंग्राम है 
तिल-तिल बिंधूँगा पर दया की भीख मैं लूँगा नहीं 
वरदान माँगूँगा नहीं। 

स्मृति सुखद प्रहरों के लिए 
अपने खंडहरों के लिए 
यह जान लो मैं विश्व की संपत्ति चाहूँगा नहीं 
वरदान माँगूँगा नहीं। 

क्या हार में क्या जीत में 
किंचित नहीं भयभीत मैं 
संघर्ष पथ पर जो मिले यह भी सही वह भी सही 
वरदान माँगूँगा नहीं। 

लघुता न अब मेरी छुओ 
तुम हो महान बने रहो 
अपने हृदय की वेदना मैं त्यागूँगा नहीं 
वरदान माँगूँगा नहीं। 

चाहे हृदय को ताप दो 
चाहे मुझे अभिशाप दो 
कुछ भी करो कर्तव्य पथ से किंतु भागूँगा नहीं 
वरदान माँगूँगा नहीं।

Question: 1

कवि जीवन की लड़ाई लड़ना चाहते हैं:

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काव्यांश पढ़ते समय भावों को गहराई से समझें — यहाँ कवि का आत्मबल, आत्मनिर्भरता और संघर्षशीलता स्पष्ट है।
Updated On: Jul 17, 2025
  • ईश्वर के आशीर्वाद से
  • समय के अभिशाप से
  • भाग्य के भरोसे
  • संघर्ष के बल से
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The Correct Option is D

Solution and Explanation

काव्यांश में कवि ने स्पष्ट रूप से यह कहा है कि वह किसी से दया या कृपा नहीं माँगेगा।
कवि का विश्वास न तो ईश्वर के वरदान पर है, न ही भाग्य के सहारे पर।
वह कहता है – “वरदान माँगूँगा नहीं”, और इसी बात को कई बार दोहराता है।
कवि न तो हार से डरता है और न ही जीत के लिए उत्सुक है।
वह केवल संघर्ष करने को ही अपने जीवन का ध्येय मानता है।
उसके लिए कर्तव्य पथ पर अडिग रहना ही सच्चा उद्देश्य है।
वह कहता है — "संघर्ष पथ पर जो मिले यह भी सही वह भी सही"।
इससे यह स्पष्ट होता है कि कवि जीवन की लड़ाई केवल संघर्ष के बल पर लड़ना चाहता है।
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Question: 2

निम्नलिखित कथन तथा कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा उत्तर के लिए दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प का चयन कीजिए:
कथन: कवि ईश्वर के वरदान और भाग्यबल में विश्वास नहीं रखता।
कारण: कवि जीवन से हार चुका है, उसे निराशा ने घेर लिया है।

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जब भी कथन और कारण पर आधारित प्रश्न हो, पहले दोनों को स्वतंत्र रूप से परखें — फिर देखें कि क्या कारण, कथन को समर्थन देता है या नहीं।
Updated On: Jul 17, 2025
  • कथन गलत है, किंतु कारण सही है।
  • कथन और कारण दोनों गलत हैं।
  • कथन सही है और कारण, कथन की सही व्याख्या करता है।
  • कथन सही है, किंतु कारण, कथन की सही व्याख्या नहीं करता है।
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The Correct Option is D

Solution and Explanation

कथन का विश्लेषण करें — कवि बार-बार कहता है कि वह वरदान नहीं माँगेगा, इसलिए यह कथन सही है।
कवि का विश्वास न तो ईश्वर की कृपा पर है और न ही भाग्य के सहारे।
लेकिन कारण पर ध्यान दें — यह कहा गया है कि कवि जीवन से हार चुका है और निराशा ने उसे घेर लिया है।
यह कथन पूरी तरह से गलत है, क्योंकि कवि ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वह हार में भी भयभीत नहीं है।
"क्या हार में क्या जीत में, किंचित नहीं भयभीत मैं" — यह पंक्ति दिखाती है कि वह निराश नहीं बल्कि निडर और अडिग है।
इसलिए कारण कथन की व्याख्या नहीं करता, बल्कि उल्टा अर्थ प्रस्तुत करता है।
इसलिए सही उत्तर होगा — कथन सही है, लेकिन कारण उसकी व्याख्या नहीं करता।
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Question: 3

‘चाहे हृदय को ताप दो’ – पंक्ति में ‘हृदय को ताप देना’ का अर्थ है:

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कविता में ‘ताप’ जैसे प्रतीकों का गूढ़ अर्थ होता है — यहाँ यह मानसिक संघर्ष और पीड़ा का प्रतीक है, जिसे कवि स्वीकार करता है लेकिन उससे हार नहीं मानता।
Updated On: Jul 17, 2025
  • सुख की ऊर्जा से भर देना
  • घोर निराशा से भर देना
  • रोग-पीड़ा से भर देना
  • नकारात्मक विचारों से भर देना
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The Correct Option is B

Solution and Explanation

‘हृदय को ताप दो’ इस काव्यांश की एक प्रतीकात्मक और भावपूर्ण अभिव्यक्ति है।
इस पंक्ति का अर्थ है कि चाहे जीवन में कितनी भी मानसिक वेदना क्यों न दी जाए,
कवि उस वेदना को भी सहने के लिए तैयार है, वह उससे विचलित नहीं होगा।
यहाँ ‘ताप’ शब्द केवल शारीरिक कष्ट नहीं, बल्कि भीतर की घोर निराशा, मनोवेदना, भावनात्मक ताप को दर्शाता है।
कवि इस बात को स्वीकार करता है कि यदि संघर्ष पथ पर चलने के लिए उसे पीड़ा सहनी पड़ी तो वह उसे सहन करेगा।
उसकी भावना यह नहीं है कि पीड़ा का अंत हो, बल्कि वह इस तथ्य को स्वीकार करता है कि सच्चा जीवन संघर्ष और कष्टों से भरा होता है।
इसलिए वह कहता है कि “चाहे हृदय को ताप दो, चाहे मुझे अभिशाप दो” — वह किसी भी प्रकार के दुखों से डरता नहीं है।
इन पंक्तियों से स्पष्ट है कि ताप का अर्थ है मनोवेदना, निराशा, और मानसिक ताप
अतः सही उत्तर है — घोर निराशा से भर देना
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Question: 4

यह कविता क्या प्रेरणा देती है?

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यह कविता पाठकों को यह संदेश देती है कि सच्ची प्रेरणा भीतर से आती है — आत्मबल, कर्तव्य, और संघर्ष ही सफलता की कुंजी हैं।
Updated On: Jul 17, 2025
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Solution and Explanation

यह कविता एक अत्यंत प्रेरणादायक काव्यांश है जो पाठक को आत्मबल, आत्मनिर्भरता, साहस और संघर्ष की प्रेरणा देता है।
कवि बार-बार कहता है कि वह किसी दया, कृपा या वरदान की याचना नहीं करेगा — वह कहता है: “वरदान माँगूँगा नहीं।”
इस पंक्ति का दोहराव स्वयं इस बात का प्रतीक है कि कवि कठिन परिस्थितियों का सामना अपने बलबूते पर करना चाहता है।
वह कहता है कि जीवन केवल एक विराम नहीं है, बल्कि एक महासंग्राम है — जिसमें विजय के लिए लगातार संघर्ष करना पड़ता है।
कवि स्पष्ट करता है कि वह हार को भी सहजता से स्वीकार करेगा, वह हार में भी भयभीत नहीं है: “क्या हार में क्या जीत में, किंचित नहीं भयभीत मैं।”
यह पंक्ति जीवन के उतार-चढ़ाव को सहजता से स्वीकारने का दृष्टिकोण देती है।
वह यह भी कहता है कि उसे चाहे हृदय की वेदना, अभिशाप या मानसिक ताप क्यों न दिया जाए, वह कर्तव्यपथ से पीछे नहीं हटेगा।
यानी वह कर्तव्य, आदर्श, और आत्मबल को सर्वोच्च मानता है।
यह प्रेरणा देती है कि मनुष्य को परिस्थितियों से घबराना नहीं चाहिए — चाहे दुःख हो, पीड़ा हो या असफलता,
एक सच्चे मनुष्य को अपने जीवन के संघर्ष पथ पर निरंतर आगे बढ़ते रहना चाहिए।
इस कविता का सार यह है कि मनुष्य को अपने आत्मबल और नैतिक मूल्यों पर विश्वास रखते हुए किसी भी परिस्थिति में संघर्ष नहीं छोड़ना चाहिए।
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Question: 5

जीवन में मिलने वाली हार को विराम क्यों कहा गया है?

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जीवन में हर असफलता हमें अगले प्रयास के लिए तैयार करती है — कवि हार को नकार नहीं रहा, बल्कि उसे संघर्ष का एक पड़ाव मान रहा है।
Updated On: Jul 17, 2025
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Solution and Explanation

कविता की आरंभिक पंक्ति है — “यह हार एक विराम है।”
यहाँ ‘विराम’ शब्द का प्रयोग एक अस्थायी ठहराव के अर्थ में किया गया है, न कि अंत के रूप में।
कवि यह समझाना चाहता है कि जीवन में आने वाली हारें स्थायी नहीं होतीं, वे केवल थोड़े समय के लिए रुकावट होती हैं।
ये हार किसी संघर्ष की समाप्ति नहीं, बल्कि अगले प्रयास के लिए एक तैयारी की अवस्था होती हैं।
कवि का दृष्टिकोण अत्यंत सकारात्मक और प्रेरणात्मक है — वह हार को नकारात्मक रूप में नहीं देखता।
बल्कि वह इसे ‘महासंग्राम’ — एक लंबे युद्ध की प्रक्रिया का हिस्सा मानता है।
जैसे ही कोई विराम आता है, वैसे ही पुनः उठकर आगे बढ़ना चाहिए — यही उसका संदेश है।
इसलिए वह कहता है कि हार केवल एक विराम है, एक मौका है — आत्ममंथन और अगली रणनीति के लिए।
इस प्रकार हार को असफलता की नहीं, बल्कि सीख और संकल्प की शुरुआत के रूप में देखा गया है।
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Question: 6

‘संघर्ष पथ पर जो मिले ...... वह भी सही’ – पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

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यह पंक्ति हमें सिखाती है कि यदि हमारा मार्ग सही हो, तो हमें हर स्थिति को विनम्रता से स्वीकार करना चाहिए — यही सच्ची जीवन-दृष्टि है।
Updated On: Jul 17, 2025
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Solution and Explanation

यह पंक्ति कवि की संघर्षशीलता, स्वीकार्यता और मानसिक दृढ़ता को दर्शाती है।
कवि कहता है कि जब वह संघर्ष के मार्ग पर चलता है, तब जो कुछ भी उसे प्राप्त होता है — चाहे वह सफलता हो या असफलता,
उसे वह सहर्ष स्वीकार करता है।
“जो मिले वह भी सही, वह भी सही” — यह दोहराव इस बात को स्पष्ट करता है कि कवि को परिणाम की चिंता नहीं है।
उसके लिए संघर्ष की पवित्रता और कर्तव्य का पालन अधिक महत्वपूर्ण है।
वह यह नहीं सोचता कि उसे क्या मिलेगा — बल्कि वह हर परिस्थिति को स्वीकार करने की मानसिकता रखता है।
यह विचारधारा गीता के निष्काम कर्मयोग से भी मेल खाती है, जहाँ कहा गया है: “कर्म करो, फल की चिंता मत करो।”
कवि का लक्ष्य है संघर्ष करते रहना, बिना थके, बिना डरे — चाहे जो भी परिणाम हो।
इसलिए इस पंक्ति का आशय है कि मनुष्य को संघर्ष के मार्ग पर निरंतर और निःस्वार्थ भाव से आगे बढ़ते रहना चाहिए।
प्राप्ति में भले ही सफलता या असफलता हो — यदि मार्ग सत्य है तो हर परिणाम स्वीकार्य है।
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