“अपनी समस्त कोशिशों के बावजूद अंग्रेज़ी राज हिंदुस्तान को पूर्ण रूप से अपनी ‘सांस्कृतिक कॉलोनी’ बनाने में असफल रहा।
भारत की सांस्कृतिक विरासत यूरोप की तरह इंडिविजुअल नहीं थी — वह हर रिश्तों से जीवित थी, जो जंगलों, नदियों, पर्व, रीतियों, संस्कारों, भाषा, बोली, भाव, गंध आदि से बनी थी।”
‘अपनी आँखों से देखी है त्रैतीय चरित्र हरण की लीला’ – संवदिया पाठ के इस कथन के संदर्भ में लिखिए कि यहाँ किस घटना की बात हो रही है। उसका संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
‘प्रेम के लिए किसी निश्चित व्यक्ति, समय और स्थिति का होना आवश्यक नहीं है।’ – ‘दूसरा देवदास’ पाठ के आधार पर इस कथन की पुष्टि कीजिए।
‘देवो चुन लो’ पाठ में स्वयंवर संबंधी विभिन्न रीतियों का वर्णन किस उद्देश्य से किया गया है?
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्पों का चयन कीजिए:
अरण्य यह मधुमय देश हमारा !
जहाँ पहुँच अनजान विश्रांत को मिलता एक सहारा।
सरस तामरस गर्व विभा पर — नाच रही तरलिता मोहिनी।
हिलता जीवन हरियाली पर — मंगल कुंकुम सारा !
लघु सुरभि से पंख पसारे — शीतल मलय समीर सहारा।
उड़ते खग जिस ओर मुंह किए — समझो नीड़ निज प्यारा।