‘बिस्किटवाला की मौत’ पाठ के आधार पर बिस्किटवाले की होने वाली मौत का वर्णन कीजिए, साथ ही गाँव वालों को उसके बाद होने वाली क्रियाओं का उल्लेख कीजिए।
'सतत बहती नदियाँ अब मालवा के गालों के आँसू भी नहीं बहा सकती’ कथन के संदर्भ में लिखिए देश के अन्य हिस्सों में नदियों की क्या स्थिति है और इसके क्या कारण हैं?
‘सूरदास की झोपड़ी’ पाठ से उद्धृत कथन ‘सच्चे खिलाड़ी कभी रोते नहीं, बाजी-पर-बाजी हारते हैं ... पर मैदान में डटे रहते हैं’ से आपको क्या प्रेरणा मिलती है? सूरदास के चरित्र के संदर्भ में लिखिए।
गद्यांश के आधार पर दिए गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के उत्तर के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चयन कर लिखिए :
मैं तो शहर से या आदमियों से डरकर जंगल इसलिए भागा था कि मेरे सिर पर सींग निकल रहे थे और डर था कि किसी-न-किसी दिन किसी की नज़र मुझ पर ज़रूर पड़ जाएगी।
जंगल में मेरा पहला ही दिन था जब मैंने बबूल के पेड़ के नीचे एक शेर को बैठे हुए देखा। शेर का मुँह खुला हुआ था। शेर का खुला मुँह देखकर मेरा जो हाल होना था वही हुआ, यानी मैं डर के मारे एक झाड़ी के पीछे छिप गया।
मैंने देखा कि झाड़ी की ओट भी ग़ज़ब की चीज़ है। अगर झाड़ी न होती तो न शेर का मुँह-खुला और न ही उसमें डर पाना संभव हो पाता।
कुछ देर बाद मैंने देखा कि जंगल के छोटे-छोटे जानवर एक लाइन से चले आ रहे हैं और शेर के मुँह में घुसे चले जा रहे हैं। यह बिना हिले-डुले, बिना बवाल, जानवरों की ग़ज़ब की ग़ज़ल लग रही है। यह दृश्य देखकर मैं हैरान हो गया।
“कोई साथ नहीं होता है। जब मृत्यु के क्षण पास आते हैं तो प्रिये मित्र भी भुला देते हैं,
कोई निमंत्रण दिया गया तो भय के मारे उपस्थित नहीं हो जाता,
नीति और धर्म की बातें तो दूर, मित्रता का धर्म भी छूट जाता है।”