Question:

“अपनी समस्त कोशिशों के बावजूद अंग्रेज़ी राज हिंदुस्तान को पूर्ण रूप से अपनी ‘सांस्कृतिक कॉलोनी’ बनाने में असफल रहा। 
भारत की सांस्कृतिक विरासत यूरोप की तरह इंडिविजुअल नहीं थी — वह हर रिश्तों से जीवित थी, जो जंगलों, नदियों, पर्व, रीतियों, संस्कारों, भाषा, बोली, भाव, गंध आदि से बनी थी।”
 

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जब तक किसी देश की संस्कृति जीवित रहती है, तब तक उसका आत्मबल बना रहता है। भारत इसकी सर्वोत्तम मिसाल है।
Updated On: Jul 18, 2025
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Solution and Explanation

यह गद्यांश भारतीय संस्कृति की अद्वितीयता और उसकी आंतरिक शक्ति को दर्शाता है।
लेखक स्पष्ट करता है कि ब्रिटिश शासन ने भारत को केवल राजनीतिक दृष्टि से नहीं, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी गुलाम बनाने का प्रयास किया।
अंग्रेज़ों की यह मंशा थी कि भारतीय समाज यूरोपीय मूल्यों, जीवनशैली और दृष्टिकोण को आत्मसात कर ले।
लेकिन भारत एक ऐसा देश है जिसकी सांस्कृतिक जड़ें हजारों वर्षों से समृद्ध रही हैं।
यहाँ का समाज केवल व्यक्तिगत उपलब्धियों पर आधारित नहीं है, बल्कि वह समुदाय, रिश्तों, त्योहारों, भाषा और प्रकृति के साथ सह-अस्तित्व में विश्वास करता है।
भारतीय संस्कृति की गहराई और विविधता इतनी मजबूत थी कि अंग्रेज़ी शिक्षा और शासन उसे प्रभावित नहीं कर सका।
लेखक ‘धर्म’, ‘संस्कार’, ‘भाषा’, ‘रिश्ते’, ‘नदियाँ’, ‘जंगल’ जैसे तत्वों को भारत की सांस्कृतिक धरोहर के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत करता है।
इनका अस्तित्व केवल परंपरा नहीं, बल्कि यह जीवन जीने की शैली है।
यही कारण है कि भारत की आत्मा कभी गुलाम नहीं बन सकी।
भारत की संस्कृति व्यक्तिगत स्वतंत्रता से नहीं, बल्कि सामूहिक चेतना, पारिवारिक बंधन और सामाजिक उत्तरदायित्व से प्रेरित है।
यहाँ एक-एक रस्म, पर्व, या रीतियों में पीढ़ियों का अनुभव और श्रद्धा समाहित होती है।
भारत के हर आँगन में बोली जाने वाली भाषाएँ, हर त्यौहार, हर परंपरा — भारतीय आत्मा की अभिव्यक्ति हैं।
लेखक इसी सन्दर्भ में कहता है कि अंग्रेज़ भले ही शासक बने हों, पर वे भारत को सांस्कृतिक रूप से कभी नहीं जीत सके।
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