Comprehension

सच्चा प्रेम वही है जिसकी 
तृप्ति आत्मबलि पर हो निर्भर । 
त्याग बिना निष्प्राण प्रेम है, 
करो प्रेम पर प्राण निछावर ।। 
देश प्रेम वह पुण्य क्षेत्र है, 
अमल असीम त्याग से विलसित । 
आत्मा के विकास से जिसमें 
मनुष्यता होती है विकसित । 
 

Question: 1

उपर्युक्त पद्यांश के शीर्षक एवं कवि का नाम लिखिए ।

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अपनी पाठ्य-पुस्तक की सभी महत्वपूर्ण कविताओं के शीर्षक और उनके कवियों के नाम की एक सूची बनाकर याद करें। यह प्रश्न अक्सर परीक्षाओं में पूछा जाता है।
Updated On: Nov 11, 2025
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शीर्षक: प्रस्तुत पद्यांश का शीर्षक 'स्वदेश-प्रेम' है।
कवि: इसके रचयिता श्री रामनरेश त्रिपाठी जी हैं।
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Question: 2

रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए ।
(नोट: चूँकि कोई अंश रेखांकित नहीं है, हम अंतिम चार पंक्तियों की व्याख्या करेंगे: "देश प्रेम वह पुण्य क्षेत्र है...मनुष्यता होती है विकसित ।")

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व्याख्या करते समय कविता में आए कठिन शब्दों (जैसे - अमल, विलसित) का अर्थ स्पष्ट करें और फिर पूरी पंक्ति का भावार्थ अपने शब्दों में लिखें।
Updated On: Nov 11, 2025
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Solution and Explanation

रेखांकित अंश की व्याख्या:
कवि रामनरेश त्रिपाठी जी कहते हैं कि देश-प्रेम एक पवित्र (पुण्य) भावना है।
यह एक ऐसा पवित्र क्षेत्र है जो निर्मल (अमल) और असीम त्याग से सुशोभित (विलसित) होता है। अर्थात्, देश-प्रेम की भावना व्यक्ति को त्याग और बलिदान की प्रेरणा देती है।
कवि आगे कहते हैं कि देश-प्रेम की भावना से ही आत्मा का विकास होता है।
जब व्यक्ति अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर देश के हित में सोचता है, तो उसकी आत्मा उन्नत होती है और इसी से सच्ची मानवता (मनुष्यता) का विकास होता है।
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Question: 3

प्रस्तुत पद्यांश में किसके प्रेम पर प्राण न्योछावर करने की बात कही गयी है ?

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पद्यांश का मूल भाव समझने का प्रयास करें। यहाँ "सच्चा प्रेम" की परिभाषा देकर उसे "देश प्रेम" से जोड़ा गया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि बलिदान देश के लिए करने को कहा गया है।
Updated On: Nov 11, 2025
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प्रस्तुत पद्यांश में सच्चे प्रेम के स्वरूप को स्पष्ट करते हुए देश-प्रेम पर प्राण न्योछावर करने की बात कही गयी है।
कवि के अनुसार, सच्चा प्रेम वही है जो आत्म-बलिदान पर निर्भर हो, और देश-प्रेम इसका सर्वोच्च उदाहरण है। इसलिए व्यक्ति को अपने देश के प्रेम पर अपने प्राणों को भी न्योछावर करने के लिए तत्पर रहना चाहिए।
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