रोहतास-दुर्ग के प्रकोष्ठ में बैठी हुई युवती ममता, शोण के तीक्ष्ण गंभीर प्रवाह को देख रही है । ममता विधवा थी । उसका यौवन शोण के समान ही उभड़ रहा था । मन में वेदना, मस्तक में आँधी, आँखों में पानी का बरसात लिए, वह सुख के कंटक-शयन में विकल थी । वह रोहतास दुर्गपति के मंत्री चूड़ामणि की अकेली दुहिता थी, फिर उसके लिए कुछ अभाव होना असंभव था, परंतु, वह विधवा थी । हिन्दू-विधवा संसार में सबसे तुच्छ निराश्रय प्राणी है - तब उसकी विडंबना का अन्त कहाँ था ?