Comprehension

निम्नलिखित पद्यांश पर आधारित तीन प्रश्नों के उत्तर दीजिए : 
चाह नहीं, मैं सुरबाला के गहनों में गूँथा जाऊँ, चाह नहीं प्रेमी-माला में बिंध प्यारी को ललचाऊँ, चाह नहीं सम्राटों के शव पर हे हरि डाला जाऊँ, चाह नहीं देवों के सिर पर चढूँ भाग्य पर इठलाऊँ, मुझे तोड़ लेना बनमाली, उस पथ में देना तुम फेंक । मातृभूमि पर शीश चढ़ाने, जिस पथ जावें वीर अनेक । 
 

Question: 1

उपर्युक्त पद्यांश का सन्दर्भ लिखिए ।

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संदर्भ में कवि का नाम, कविता का शीर्षक और कविता का मूल भाव लिखना एक पूर्ण उत्तर माना जाता है। माखनलाल चतुर्वेदी को 'एक भारतीय आत्मा' के उपनाम से भी जाना जाता है, इसका उल्लेख भी कर सकते हैं।
Updated On: Nov 10, 2025
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Solution and Explanation

प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित राष्ट्रकवि श्री माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा रचित 'पुष्प की अभिलाषा' नामक कविता से उद्धृत है। यह कविता उनके काव्य-संग्रह 'युग-चरण' से ली गई है। इस कविता में कवि ने एक पुष्प के माध्यम से देश के प्रति त्याग और बलिदान की उत्कृष्ट भावना को व्यक्त किया है।
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Question: 2

रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए ।

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व्याख्या करते समय, कविता के प्रतीकात्मक अर्थ को स्पष्ट करें। यहाँ पुष्प स्वयं कवि या देश के किसी भी नागरिक का प्रतीक है जो देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देना चाहता है।
Updated On: Nov 10, 2025
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Solution and Explanation

व्याख्या: कवि माखनलाल चतुर्वेदी पुष्प की अभिलाषा को व्यक्त करते हुए कहते हैं कि हे वनमाली! मेरी इच्छा किसी देवकन्या के गहनों में गूँथे जाने की या किसी प्रेमी की माला में सजने की नहीं है। मेरी इच्छा यह भी नहीं है कि मैं सम्राटों के शव पर चढ़ाया जाऊँ या देवताओं के सिर पर चढ़कर अपने भाग्य पर अभिमान करूँ। मेरी तो बस एक ही इच्छा है कि तुम मुझे टहनी से तोड़ लेना और उस रास्ते पर फेंक देना, जिस रास्ते से होकर अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान करने के लिए अनेक वीर सैनिक जाते हैं। मैं उन वीरों के पैरों के नीचे आकर ही स्वयं को धन्य समझूँगा।
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Question: 3

उपर्युक्त अवतरण में पुष्प किसका प्रतीक है ? पुष्प को किन चीजों की चाह नहीं है, और क्यों ?

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इस प्रकार के प्रश्नों का उत्तर दो भागों में दें। पहले भाग में प्रतीक का अर्थ बताएँ और दूसरे भाग में बिंदुवार (bullet points) तरीके से क्या चाह नहीं है और उसका कारण स्पष्ट करें। इससे उत्तर व्यवस्थित और स्पष्ट हो जाता है।
Updated On: Nov 10, 2025
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Solution and Explanation

उपर्युक्त अवतरण में पुष्प एक देशभक्त नागरिक या स्वयं कवि का प्रतीक है, जो देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने को तत्पर है।
पुष्प को निम्नलिखित चीजों की चाह नहीं है:
देवबाला के गहनों में गूँथा जाना।
प्रेमी की माला में पिरोया जाना।
सम्राटों के शव पर डाला जाना।
देवताओं के सिर पर चढ़कर अपने भाग्य पर गर्व करना।
पुष्प को इन चीजों की चाह इसलिए नहीं है क्योंकि ये सभी व्यक्तिगत श्रृंगार, प्रेम, सम्मान और सौभाग्य के प्रतीक हैं। पुष्प के लिए ये सभी भोग-विलास और व्यक्तिगत सम्मान तुच्छ हैं। उसकी दृष्टि में सबसे बड़ा सम्मान और सबसे बड़ा धर्म मातृभूमि के लिए बलिदान होना है। वह व्यक्तिगत सुख और सम्मान के स्थान पर देश के लिए त्याग और समर्पण को अधिक महत्व देता है।
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