Comprehension

निम्नलिखित पद्यांश पर आधारित सभी प्रश्नों के उत्तर दीजिए : फूल झरता है फूल शब्द नहीं । बच्चा गेंद उछालता है, सदियों के पार लोकती है उसे एक बच्ची । बूढ़ा गाता है एक पद्य, दुहराता है दूसरा बूढ़ा, भूगोल और इतिहास से परे किसी दालान में बैठा हुआ । 
 

Question: 1

उपर्युक्त कविता के कवि एवं शीर्षक का नाम लिखिए ।

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आधुनिक कविताओं के संदर्भ में कवि और शीर्षक का नाम याद रखना महत्वपूर्ण है। परीक्षा से पहले अपनी पाठ्य-पुस्तक के सभी पाठों और उनके लेखकों/कवियों की सूची बना लें और उसे दोहराएँ।
Updated On: Nov 10, 2025
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Solution and Explanation

प्रस्तुत पद्यांश के कवि श्री अशोक वाजपेयी हैं और कविता का शीर्षक 'युवा जंगल' है।
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Question: 2

रेखाङ्कित पद्यांश का अंश स्पष्ट कीजिए ।

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आधुनिक कविता की व्याख्या करते समय, प्रतीकात्मक अर्थ पर ध्यान केंद्रित करें। यहाँ 'बूढ़ा', 'पद्य' और 'दालान' केवल शाब्दिक अर्थ नहीं रखते, बल्कि वे क्रमशः परम्परा, संस्कृति और सार्वभौमिक मानवीय परिवेश के प्रतीक हैं।
Updated On: Nov 10, 2025
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Solution and Explanation

रेखांकित अंश में कवि अशोक वाजपेयी जी कहते हैं कि मानवीय संस्कृति और परम्पराएँ समय और स्थान की सीमाओं से परे होती हैं।
जब एक बूढ़ा व्यक्ति कहीं किसी दालान में बैठकर कोई गीत या पद गाता है, तो वही गीत या पद किसी दूसरे स्थान पर या किसी दूसरे समय में कोई दूसरा बूढ़ा व्यक्ति भी दुहराता है। यह क्रिया किसी विशिष्ट भूगोल (देश, प्रदेश) या इतिहास (समय, काल) से बंधी नहीं है। यह एक सार्वभौमिक और शाश्वत मानवीय क्रिया है जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलती रहती है। यह हमारी साझी सांस्कृतिक विरासत की निरंतरता का प्रतीक है।
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Question: 3

कवि पद्यांश में किसकी विशेषता बता रहा है ?

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जब कविता की 'विशेषता' पूछी जाए, तो कविता के केंद्रीय भाव या मूल संदेश को पकड़ने का प्रयास करें। इस कविता का मूल भाव यह है कि भौतिक वस्तुएँ (जैसे फूल) नश्वर हैं, लेकिन मानवीय क्रियाएँ, भावनाएँ और संस्कृति अमर हैं।
Updated On: Nov 10, 2025
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Solution and Explanation

इस पद्यांश में कवि मानवीय क्रियाओं और सांस्कृतिक परम्पराओं की शाश्वतता और सार्वभौमिकता की विशेषता बता रहा है।
कवि के अनुसार, कुछ कार्य जैसे बच्चे का गेंद उछालना और बूढ़े का गीत गाना, देश, काल और सीमाओं से परे हैं। ये क्रियाएँ सदियों से दोहराई जाती रही हैं और भविष्य में भी दोहराई जाती रहेंगी। ये भूगोल और इतिहास की सीमाओं को लांघकर मानव जीवन की निरंतरता और उसकी सहज प्रवृत्तियों को प्रकट करती हैं। अतः कवि जीवन के इसी सनातन और सार्वभौमिक पक्ष की विशेषता पर प्रकाश डाल रहा है।
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