Question:

निम्नलिखित पद्यांश पर आधारित सभी प्रश्नों के उत्तर दीजिए : 
चाह नहीं, मैं सुरबाला के गहनों में गूँथा जाऊँ, ... मुझे तोड़ लेना बनमाली, उस पथ में देना तुम फेंक | मातृ-भूमि पर शीश चढ़ाने, जिस पथ जावें वीर अनेक । पद्यांश के रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए। 
 

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व्याख्या करते समय कविता के केंद्रीय भाव (यहाँ, देशभक्ति और आत्म-बलिदान) को उजागर करें। यह दिखाएगा कि आपने कविता के मर्म को समझ लिया है।
Updated On: Nov 10, 2025
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Solution and Explanation

चरण 1: रेखांकित अंश को समझना:
रेखांकित पंक्तियाँ हैं: "मुझे तोड़ लेना बनमाली, उस पथ में देना तुम फेंक | मातृ-भूमि पर शीश चढ़ाने, जिस पथ जावें वीर अनेक ।" इसकी व्याख्या करनी है।
चरण 2: विस्तृत व्याख्या:
- व्याख्या: पुष्प माली से निवेदन करता है कि हे वनमाली, तुम मुझे तोड़कर उस रास्ते पर फेंक देना, जिस रास्ते से होकर अनेक वीर सैनिक अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने जा रहे हों।
- इन पंक्तियों में कवि ने पुष्प के माध्यम से अपनी उत्कृष्ट देशभक्ति की भावना को व्यक्त किया है।
- पुष्प सांसारिक मान-सम्मान और सौंदर्य के उपयोग को तुच्छ समझता है। उसकी एकमात्र और सर्वोच्च अभिलाषा देश के लिए समर्पित होना है।
- वह वनमाली से प्रार्थना करता है कि उसे तोड़कर उस मार्ग पर बिखेर दिया जाए, जिस मार्ग पर चलकर भारत माता के वीर सपूत ('वीर अनेक') मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना 'शीश चढ़ाने' अर्थात अपने प्राणों का बलिदान देने के लिए जा रहे हों।
- पुष्प उन वीरों के पैरों के नीचे आकर, उनके महान बलिदान का एक छोटा-सा हिस्सा बनकर स्वयं को धन्य समझना चाहता है। यह आत्म-त्याग और देश-प्रेम की पराकाष्ठा है।
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