Question:

निम्नलिखित पद्यांश पर आधारित सभी प्रश्नों के उत्तर दीजिए : चाह नहीं, मैं सुरबाला के गहनों में गूँथा जाऊँ, चाह नहीं प्रेमी-माला में बिंध प्यारी को ललचाऊँ, चाह नहीं सम्राटों के शव पर हे हरि डाला जाऊँ, चाह नहीं देवों के सिर पर चढूँ भाग्य पर इठलाऊँ, मुझे तोड़ लेना बनमाली, उस पथ में देना तुम फेंक | मातृ-भूमि पर शीश चढ़ाने, जिस पथ जावें वीर अनेक । उपर्युक्त पद्यांश का संदर्भ लिखिए। 
 

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प्रसिद्ध कविताओं की प्रारंभिक पंक्तियों को याद रखना संदर्भ लिखने में बहुत सहायक होता है। 'पुष्प की अभिलाषा' एक ऐसी ही प्रसिद्ध कविता है।
Updated On: Nov 10, 2025
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Solution and Explanation

चरण 1: पद्यांश को समझना:
प्रश्न में दिए गए पद्य का संदर्भ पूछा गया है।
चरण 2: विस्तृत व्याख्या:
- संदर्भ: प्रस्तुत पद्यांश श्री माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा रचित 'पुष्प की अभिलाषा' नामक कविता से उद्धृत है। यह हमारी पाठ्य-पुस्तक 'हिंदी' के काव्य-खंड में संकलित है।
- यह पद्यांश हिंदी की एक अत्यंत प्रसिद्ध कविता है, जिसमें एक पुष्प अपनी इच्छा व्यक्त कर रहा है।
- कविता का भाव देशभक्ति और आत्म-बलिदान का है, जो राष्ट्रीय काव्य धारा के प्रमुख कवि माखनलाल चतुर्वेदी की लेखन शैली की विशेषता है।
- उन्हें 'एक भारतीय आत्मा' के उपनाम से भी जाना जाता है।
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