Question:

निम्नलिखित पद्यांश पर आधारित सभी प्रश्नों के उत्तर दीजिए : ऊधौ जाहु तुमहिं हम जाने। स्याम तुमहिं ह्याँ कौ नहिं पठयौ, तुम हौ बीच भुलाने।। ब्रज नारिनि सौं जोग कहत हौं, बात कहत न लजाने। ... 'ब्रज नारिनि सौं जोग कहत हौं, बात कहत न लजाने।' से क्या तात्पर्य है ? स्पष्ट कीजिए। 
 

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किसी पंक्ति का तात्पर्य या भाव स्पष्ट करते समय, उसके संदर्भ (किससे, क्यों और किस परिस्थिति में कहा गया) को ध्यान में रखकर व्याख्या करें।
Updated On: Nov 10, 2025
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Solution and Explanation

चरण 1: प्रश्न को समझना:
प्रश्न में पंक्ति "ब्रज नारिनि सौं जोग कहत हौं, बात कहत न लजाने।" का भाव स्पष्ट करने के लिए कहा गया है।
चरण 2: विस्तृत व्याख्या:
- इस पंक्ति का तात्पर्य यह है कि गोपियाँ उद्धव को उलाहना दे रही हैं कि उनका हम प्रेममार्गी स्त्रियों को ज्ञान और योग का उपदेश देना सर्वथा अनुचित और लज्जास्पद कार्य है।
- गोपियों का कहना है कि हम ब्रज की नारियाँ हैं, जिन्होंने अपना सब कुछ श्रीकृष्ण के सगुण, साकार रूप पर न्योछावर कर दिया है। हमारा मार्ग प्रेम और भक्ति का है।
- दूसरी ओर, उद्धव उन्हें 'जोग' अर्थात निर्गुण ब्रह्म की उपासना और योग-साधना का उपदेश दे रहे हैं, जो प्रेम-मार्ग के बिल्कुल विपरीत, नीरस और कठिन है।
- गोपियों का मानना है कि प्रेम में मग्न स्त्रियों को वैराग्य और योग का उपदेश देना न केवल अनुपयुक्त है, बल्कि यह एक निर्लज्जतापूर्ण कार्य है। उद्धव को यह समझना चाहिए कि पात्र के अनुसार ही उपदेश दिया जाता है।
- अतः, इस पंक्ति का तात्पर्य उद्धव की अयोग्यता और उनके उपदेश की अनुपयुक्तता पर करारा व्यंग्य करना है।
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