Question:

निम्नलिखित पद्यांश पर आधारित सभी प्रश्नों के उत्तर दीजिए : ऊधौ जाहु तुमहिं हम जाने। स्याम तुमहिं ह्याँ कौ नहिं पठयौ, तुम हौ बीच भुलाने।। ब्रज नारिनि सौं जोग कहत हौं, बात कहत न लजाने। बड़े लोग न विवेक तुम्हारे, ऐसे भए अयाने।। ... सूर स्याम जब तुमहि पठायौ, तब नैकहुँ मुसकाने।। उपर्युक्त पद्यांश का संदर्भ लिखिए। 
 

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पद्य का संदर्भ लिखते समय कवि का नाम, कविता का शीर्षक, और यदि संभव हो तो मूल काव्य-ग्रंथ का नाम अवश्य लिखें। इससे उत्तर पूर्ण और प्रभावशाली बनता है।
Updated On: Nov 10, 2025
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Solution and Explanation

चरण 1: पद्यांश को समझना:
प्रश्न में दिए गए पद्य का संदर्भ पूछा गया है, जिसमें कवि और काव्य-ग्रंथ का उल्लेख करना है।
चरण 2: विस्तृत व्याख्या:
- संदर्भ: यह पद्यांश महाकवि सूरदास द्वारा रचित 'सूरसागर' महाकाव्य के 'भ्रमरगीत' प्रसंग से लिया गया है। यह हमारी पाठ्य-पुस्तक 'हिंदी' के काव्य-खंड में 'पद' शीर्षक के अंतर्गत संकलित है।
- पद्यांश की भाषा ब्रजभाषा है और इसमें 'ऊधौ' (उद्धव), 'स्याम' (श्रीकृष्ण) और 'ब्रज नारिनि' (गोपियाँ) का उल्लेख है।
- यह प्रसंग उद्धव और गोपियों के बीच संवाद का है, जहाँ गोपियाँ उद्धव के निर्गुण ज्ञान और योग के उपदेश का खंडन कर रही हैं।
- हिंदी साहित्य में यह प्रसिद्ध प्रसंग 'भ्रमरगीत' के नाम से जाना जाता है, जिसके सर्वश्रेष्ठ प्रस्तोता महाकवि सूरदास हैं।
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