Question:

निम्नलिखित पंक्तियों की सर्वांगीण व्याख्या कीजिए:
पंक्तियाँ: दृष्टि है समीर-सागर पर 
आंसू सच्चे मूरत की छाया 
जिन के बच्ये हृदय पर 
निंद्य विखंड की समाहित माया 
यह तेरी रन्त- 
भीति आकाशों से, 
धन धीनी-जननी से सजन गुज़ गुज़ अंखोर 
उसमे पुचकी, आशाओं से 
नवजीवन की, ऊँचाई का निर, 
ताक रहते हैं, ऐ विप्लव के बाल!

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कविता में प्रकृति और उसके तत्वों का उपयोग जीवन के संघर्षों और उम्मीदों के प्रतीक के रूप में किया जाता है, जो पाठक को जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने में मदद करता है।
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Solution and Explanation

कविता में समीर-सागर (समुद्र की लहरें) और आकाश का प्रतीक जीवन के निरंतर बदलाव और संघर्षों को व्यक्त करता है। यहाँ पर आंसू और आकाश की छाया बदलाव की ओर इशारा करते हैं, जबकि उत्साह, उम्मीद और निरंतर संघर्ष को शांति और भविष्य के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।
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