Comprehension

निम्नलिखित पद्यांश पर आधारित तीन प्रश्नों के उत्तर दीजिए : 
मैया हौं न चरैहौं गाइ । सिगरे ग्वाल घिरावत मोसौं, मेरे पाइ पिराइ । जौ न पत्याहि पूछि बलदाउहिं, अपनी सौंह दिवाइ । यह सुनि माइ जसोदा ग्वालिन, गारी देति रिसाइ । मैं पठवति अपने लरिका कौं, आवै मन बहराइ । सूर स्याम मेरौ अति बालक, मारत ताहि रिंगाइ । 
 

Question: 1

उपर्युक्त पद्यांश का सन्दर्भ लिखिए ।

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संदर्भ लिखते समय कवि का नाम, कविता का शीर्षक और काव्य-ग्रंथ (यदि ज्ञात हो) का उल्लेख अवश्य करें। प्रसंग में पद का केंद्रीय भाव लिखने से उत्तर और भी प्रभावशाली हो जाता है।
Updated On: Nov 10, 2025
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Solution and Explanation

प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित भक्तिकाल की कृष्ण-भक्ति शाखा के सर्वश्रेष्ठ कवि सूरदास द्वारा रचित 'पद' शीर्षक से उद्धृत है। यह पद उनके प्रसिद्ध ग्रंथ 'सूरसागर' से लिया गया है। इस पद में कवि ने बालकृष्ण की गाय न चराने की हठ और माता यशोदा के वात्सल्यपूर्ण क्रोध का मनोहारी चित्रण किया है।
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Question: 2

रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए ।

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व्याख्या करते समय, प्रत्येक पंक्ति के भाव को स्पष्ट करें। माता यशोदा के क्रोध के पीछे छिपे वात्सल्य भाव को उजागर करना व्याख्या को और भी सुंदर बना देगा।
Updated On: Nov 10, 2025
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Solution and Explanation

व्याख्या: बालकृष्ण के मुख से यह शिकायत सुनकर कि सभी ग्वाल-बाल उनसे ही अपनी गायों को घिरवाते हैं, जिससे उनके पैरों में दर्द होने लगता है, माता यशोदा क्रोधित हो जाती हैं। वे ग्वालिनों को क्रोध में आकर गाली (उलाहना) देने लगती हैं। वे कहती हैं कि मैं तो अपने बालक (कृष्ण) को इसलिए वन में भेजती हूँ कि उसका मन बहल जाए, वह थोड़ा खेल-कूद आए। पर ये ग्वाल-बाल तो मेरे इतने छोटे से बालक को दौड़ा-दौड़ा कर मार डालते हैं (परेशान कर देते हैं)। सूरदास जी कहते हैं कि माता यशोदा का यह क्रोध भी उनके कृष्ण के प्रति गहरे वात्सल्य (पुत्र-प्रेम) का ही एक रूप है।
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Question: 3

बालकृष्ण गाय चराने क्यों नहीं जाना चाहते हैं ?

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पद्यांश पर आधारित प्रश्नों का उत्तर हमेशा पद्यांश में दी गई जानकारी के आधार पर ही दें। इस प्रश्न का उत्तर पद्यांश की दूसरी पंक्ति में स्पष्ट रूप से दिया गया है।
Updated On: Nov 10, 2025
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Solution and Explanation

बालकृष्ण गाय चराने इसलिए नहीं जाना चाहते हैं क्योंकि दूसरे ग्वाल-बाल अपनी गायों को हाँकने और घेरने का काम भी उन्हीं से करवाते हैं।
इधर से उधर लगातार दौड़ने के कारण उनके नन्हे पैरों में दर्द होने लगता है ('मेरे पाइ पिराइ')। इसी शारीरिक कष्ट और ग्वालों के व्यवहार से परेशान होकर वे अपनी माता यशोदा से शिकायत करते हैं और अगले दिन गाय चराने न जाने का हठ करते हैं।
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