Question:

दिए गए संस्कृत गद्यांश का संदर्भ सहित हिन्दी में अनुवाद कीजिए। 

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संस्कृत गद्यांशों का अनुवाद करते समय पहले संदर्भ लिखें, फिर बिंदुवार भाव स्पष्ट करें और अंत में शिक्षा या निष्कर्ष अवश्य दें।
Updated On: Oct 28, 2025
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Solution and Explanation

इस गद्यांश में एक नगर का प्रसंग है, जहाँ एक ब्राह्मण और ग्रामवासी के बीच संवाद हो रहा है।
1. प्रसंग: ब्राह्मण एक प्रहेलिका (पहेली) पूछते हैं और स्वयं स्वीकार करते हैं कि उसका उत्तर उन्हें नहीं पता। नगरवासी कहता है कि यदि उत्तर नहीं जानते तो दण्डस्वरूप दस रुपए देने चाहिए। दुखी होकर ब्राह्मण नगरवासियों के कहने पर रुपए दे देता है।
2. आगे की स्थिति: ग्रामवासी आग्रह करता है कि अब ब्राह्मण भी उससे कोई प्रहेलिका पूछें। जब ब्राह्मण ने पूछा तो नागरिक बहुत देर सोचने के बाद भी उत्तर नहीं दे पाया।
3. उत्तर: अंत में लज्जित होकर उसने ब्राह्मण से कहा कि "आप ही इस प्रहेलिका का उत्तर बताइए।" ब्राह्मण ने कहा – "उत्तर है – 'अज्ञम्' (अज्ञान)।"
4. भावार्थ: इस गद्यांश से यह शिक्षा मिलती है कि बिना ज्ञान के मनुष्य दूर तक नहीं जा सकता। केवल अक्षरों का ज्ञाता होना विद्वता नहीं है, बल्कि विवेक और सही उत्तर देने की क्षमता ही वास्तविक पांडित्य है।
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