Comprehension

चल अंचल में झर-झर झरते 
पथ में जुगनू के स्वर्ण फूल, 
दीपक से देता बार-बार 
तेरा उज्ज्वल चितवन-विलास । 
रूपसि तेरा घन-केश-पाश ! 

 

Question: 1

उपर्युक्त पद्यांश का सन्दर्भ लिखिए ।

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सन्दर्भ में कवि या कवयित्री को मिली उपाधि (जैसे - 'आधुनिक युग की मीरा') का उल्लेख करने से आपका उत्तर अधिक ज्ञानपूर्ण और प्रभावशाली लगता है।
Updated On: Nov 10, 2025
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Solution and Explanation

Step 1: Understanding the Question:
प्रश्न में दिए गए पद्यांश का सन्दर्भ लिखने के लिए कहा गया है।
Step 2: Identifying the Author and Text:
प्रस्तुत पद्यांश की भाषा, शैली और प्रकृति का मानवीकरण छायावादी काव्य की विशेषता है। 'रूपसि तेरा घन-केश-पाश' जैसी पंक्तियाँ महादेवी वर्मा की काव्य-शैली से मेल खाती हैं। यह पद्यांश उनकी प्रसिद्ध कविता 'वर्षा-सुन्दरी के प्रति' से लिया गया है, जो उनके काव्य-संग्रह 'सांध्यगीत' में संकलित है।
Step 3: Writing the Context (सन्दर्भ):
प्रस्तुत पद्यांश छायावाद की प्रसिद्ध कवयित्री एवं 'आधुनिक युग की मीरा' कही जाने वाली महादेवी वर्मा द्वारा रचित 'सांध्यगीत' नामक काव्य-संग्रह से हमारी पाठ्य-पुस्तक 'हिन्दी' के काव्य-खण्ड में 'वर्षा-सुन्दरी के प्रति' शीर्षक से उद्धृत है। इसमें कवयित्री ने वर्षा का एक सुन्दरी के रूप में मानवीकरण करते हुए उसके मोहक रूप का चित्रण किया है।
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Question: 2

रेखांकित पद्यांश की व्याख्या कीजिए ।

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मानवीकरण पर आधारित कविताओं की व्याख्या करते समय, यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि किस प्राकृतिक उपादान को किस मानवीय अंग या क्रिया के रूप में दिखाया गया है (जैसे - बादल = आँचल/केश, बिजली = चितवन)।
Updated On: Nov 10, 2025
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Solution and Explanation

Step 1: Understanding the Question:
यहाँ पूरे पद्यांश की व्याख्या करने को कहा गया है, क्योंकि पूरा अंश ही रेखांकित है।
Step 2: Detailed Explanation:
प्रस्तुत पद्यांश में कवयित्री महादेवी वर्मा वर्षा ऋतु का एक सुन्दरी के रूप में मानवीकरण करते हुए उसके आगमन के सौंदर्य का वर्णन करती हैं।
व्याख्या: कवयित्री वर्षा रूपी सुन्दरी को संबोधित करते हुए कहती हैं, "हे रूपसि (सुन्दरी)! तुम्हारे चलते हुए आँचल (बादलों) से पानी की बूंदें झर-झर करके झर रही हैं। तुम्हारे आगमन के पथ पर चमकते हुए जुगनू ऐसे प्रतीत हो रहे हैं मानो वे सोने के फूल हों। आकाश में बार-बार चमकने वाली बिजली तुम्हारे उज्ज्वल दृष्टि-विलास (चंचल और चमकीली चितवन) के समान है, जो दीपक की तरह क्षण भर के लिए सब कुछ प्रकाशित कर देती है। अरे सुन्दरी! आकाश में छाए ये काले-काले घने बादल तुम्हारे सघन केश-समूह (बालों का जूड़ा) हैं।"
भावार्थ: कवयित्री ने वर्षा, बादल, बिजली और जुगनू के प्राकृतिक दृश्यों को एक नायिका की वेशभूषा, चितवन और केशों के रूप में चित्रित कर प्रकृति को सजीव और मनमोहक बना दिया है।
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Question: 3

उपर्युक्त पद्यांश में प्रयुक्त रस और अलंकार का नाम लिखिए ।

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किसी पद्यांश में एक से अधिक अलंकार हो सकते हैं। उत्तर में प्रमुख अलंकारों का उल्लेख करें और यदि संभव हो तो उस पंक्ति को भी इंगित करें जहाँ वह अलंकार प्रयुक्त हुआ है।
Updated On: Nov 10, 2025
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Solution and Explanation

Step 1: Understanding the Question:
प्रश्न में पद्यांश में प्रयुक्त रस और अलंकारों के नाम पूछे गए हैं।
Step 2: Identifying Rasa (रस):
पद्यांश में प्रकृति के सौंदर्य का वर्णन एक सुन्दरी के रूप में किया गया है, जो पाठक के मन में प्रेम और सौंदर्य का भाव जगाता है। अतः यहाँ श्रृंगार रस है।
Step 3: Identifying Alankars (अलंकार):
इस पद्यांश में कई अलंकारों का प्रयोग हुआ है:
- मानवीकरण अलंकार: पूरे पद्यांश में निर्जीव प्रकृति (वर्षा) पर मानवीय क्रियाओं और भावनाओं का आरोप किया गया है, अतः यह प्रमुख अलंकार है।
- पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार: 'झर-झर' और 'बार-बार' शब्दों की आवृत्ति होने से यहाँ पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
- रूपक अलंकार: 'जुगनू के स्वर्ण फूल' में जुगनू पर स्वर्ण फूल का और 'घन-केश-पाश' में बादलों पर केश-पाश का अभेद आरोप है, अतः यहाँ रूपक अलंकार है।
- उपमा अलंकार: 'दीपक से देता बार-बार' पंक्ति में चितवन-विलास की तुलना 'दीपक' से की गई है और 'से' वाचक शब्द का प्रयोग हुआ है, अतः यहाँ उपमा अलंकार है।
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