Question:

‘उगता’ कविता भोर की आसमानी गति को धरती की जीवन भरी हलचल से जोड़ने वाली कविता है। पुष्टि कीजिए।

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पुष्टि-प्रकार के उत्तरों में उदाहरण और विश्लेषण दोनों शामिल होने चाहिए — केवल पुनरुक्ति न हो।
Updated On: Jul 25, 2025
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Solution and Explanation

‘उगता’ कविता में कवि ने सूर्योदय को केवल प्राकृतिक दृश्य के रूप में नहीं, बल्कि जीवन की आशा, सृजन और कर्म से जोड़कर प्रस्तुत किया है।
भोर की रोशनी जैसे ही धरती पर फैलती है, जीवन गतिशील हो उठता है — किसान खेत की ओर, पक्षी उड़ान को तैयार, नदी बहने को उत्सुक।
कविता में यह दिखाया गया है कि आसमान की हलचल केवल दृश्यगत परिवर्तन नहीं, बल्कि ऊर्जा का प्रवाह है जो सम्पूर्ण जीवन में चेतना भर देता है।
यह कविता भोर को प्रतीक बनाकर संघर्ष, श्रम और जीवन की शुरुआत को जोड़ती है — इसीलिए यह धरती और आकाश के संवाद की कविता बन जाती है।
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