Question:

तुलसीदास ने ‘कवितावली’ के छंद में पेट की आग को बड़वाग्नि से भी बड़ा क्यों कहा है ? इस अग्नि का शमन तुलसी के अनुसार किस प्रकार किया जा सकता है ? क्या आप उनके विचार से सहमत हैं ? तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए।

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कवियों के सामाजिक दर्शन को समझना केवल पाठ्य व्याख्या नहीं, मूल्यबोध का अभ्यास भी है।
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Solution and Explanation

तुलसीदास ने ‘कवितावली’ में जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं की तीव्रता को उजागर करते हुए पेट की भूख को बड़वाग्नि से भी भयंकर बताया है।
यह भूख केवल शारीरिक नहीं बल्कि मानसिक और सामाजिक स्तर पर भी व्यक्ति को प्रभावित करती है।
तुलसी के अनुसार इस अग्नि का शमन ईश्वर-भक्ति, संतोष, संयम और कर्तव्यपरायणता से संभव है।
मैं उनके विचार से सहमत हूँ क्योंकि केवल भौतिक संसाधनों से यह अग्नि शांत नहीं होती, इसके लिए आत्मिक और नैतिक दृष्टिकोण भी आवश्यक होता है।
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