Question:

'मेवाड़ मुकुट' खंडकाव्य के तृतीय सर्ग की कथावस्तु संक्षेप में लिखिए।

Show Hint

कथावस्तु लिखते समय घटनाओं का क्रम, प्रमुख प्रसंग और उनकी शिक्षा/संदेश को अवश्य लिखें।
Updated On: Oct 28, 2025
Hide Solution
collegedunia
Verified By Collegedunia

Solution and Explanation

Step 1: परिचय.
'मेवाड़ मुकुट' खंडकाव्य का तृतीय सर्ग महाराणा प्रताप और उनकी सेना के संघर्ष का जीवंत चित्रण है। इसमें हल्दीघाटी युद्ध और उसके प्रभाव का विस्तार से उल्लेख किया गया है। यह सर्ग मेवाड़ की वीरता, त्याग और स्वतंत्रता की भावना को प्रदर्शित करता है।

Step 2: युद्ध का वर्णन.
इस सर्ग में हल्दीघाटी का युद्ध मुख्य केंद्र है। प्रताप की सेना संख्या में कम थी और साधन भी सीमित थे, परन्तु उनके हौसले बुलंद थे। सैनिकों ने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए अप्रतिम वीरता दिखाई। घोड़े चेतक का अद्भुत साहस और प्रताप के शौर्य का वर्णन पाठकों को रोमांचित करता है।

Step 3: वीरों का बलिदान.
कई सैनिकों ने युद्धभूमि में अपने प्राणों की आहुति दी। उनका बलिदान केवल मेवाड़ ही नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र की स्वतंत्रता के लिए था। कवि ने इन बलिदानों को अमर गाथा के रूप में प्रस्तुत किया है।

Step 4: प्रताप का संकल्प.
युद्ध में कठिनाइयाँ आने के बाद भी प्रताप ने हार नहीं मानी। उन्होंने संकल्प लिया कि जब तक जीवन है, वे स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करते रहेंगे। यह अडिग निश्चय ही इस सर्ग की आत्मा है।

Step 5: निष्कर्ष.
इस प्रकार, तृतीय सर्ग की कथावस्तु मेवाड़ की शौर्यगाथा और त्याग का अमर चित्रण है। इसमें प्रताप और उनकी सेना की वीरता तथा मातृभूमि के लिए सर्वोच्च बलिदान को कवि ने बड़े भावपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया है।

Was this answer helpful?
0
0