Question:

निम्न वैकल्पिक गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए: 
जहाँ-जहाँ हमारे नैतिक सिद्धान्तों का वर्णन आया है, अहिंसा को उनमें मुख्य स्थान दिया गया है। अहिंसा का दूसरा नाम 'क्षमा' भी माना गया है और क्षमा का दूसरा रूप त्याग या संयम के रूप में हमारे सामने आता है। यदि हमारी संस्कृति ने हमें अभिमान से ऊपर उठना और त्याग सीखाया है तो वह इसी नैतिक परंपरा के कारण है; अतः क्षमा-भाव को अपनाकर व्यक्ति के मन से क्रोध, द्वेष और प्रतिहिंसा हटती है, और जीवन-आचरण शुद्ध तथा आत्म-शासन से भर जाता है। 
प्रश्न:
(i) उपर्युक्त गद्यांश का संदर्भ लिखिए।
(ii) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(iii) हमारे नैतिक सिद्धान्तों में किस चीज़ को प्रमुख स्थान दिया गया है? उसका दूसरा रूप क्या है?

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नैतिकता-सम्बन्धी गद्यांश में परिभाषा (अहिंसा/क्षमा), व्यावहारिक रूप (संयम/त्याग), और प्रभाव (व्यक्तिगत-सामाजिक लाभ)—तीनों को जोड़कर उत्तर लिखें।
Updated On: Oct 11, 2025
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Solution and Explanation

Step 1: प्रसंग (Context).
यह गद्यांश भारतीय सांस्कृतिक नैतिकता की व्याख्या करता है—समाज और व्यक्ति के आचरण में अहिंसा को सर्वोच्च आदर्श मानते हुए।

Step 2: रेखांकित अंश की व्याख्या.
(क) "अहिंसा का दूसरा नाम क्षमा"—अहिंसा केवल शारीरिक हिंसा से विरति नहीं, बल्कि मन-वाणी-कर्म से किसी को कष्ट न पहुँचाने की वृत्ति है; इसका आंतरिक रूप क्षमा है, जो द्वेष का शमन करती है।
(ख) "यदि हमारी संस्कृति ने अभिमान से ऊपर उठना और त्याग सिखाया है"—भारतीय परंपरा अहंकार-त्याग, संयम, आत्म-शासन पर बल देती है; इससे व्यक्ति में करुणा, सहिष्णुता, आत्मसंयम विकसित होते हैं।

Step 3: निष्कर्ष.
भारतीय नैतिक सिद्धान्तों का केन्द्रीय मूल्य = अहिंसा; इसका व्यावहारिक/द्वितीय रूप = क्षमा (और उसके सहायक रूप त्याग/संयम) हैं, जो व्यक्ति-समाज दोनों के शुद्ध आचरण का आधार बनते हैं।

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