Question:

हमने अपने जीवन में बाबू जी के रहते अभाव नहीं देखा। उनके न रहने के बाद जो कुछ मुझपर बीता, वह एक दूसरी तरह का अभाव था कि मुझे बैंक की नौकरी करनी पड़ी। लेकिन उससे पूर्व बाबू जी के रहते मैं जब जन्मा था तब वे उत्तर प्रदेश में पुलिस मंत्री थे। उस समय गृहमंत्री को पुलिस मंत्री कहा जाता था। इसलिए मैं हमेशा कल्पना किया करता था कि हमारे पास ये छोटी गाड़ी नहीं, बड़ी आलीशान गाड़ी होनी चाहिए। बाबू जी प्रधानमंत्री हुए तो वहाँ जो गाड़ी थी वह थी, इंपाला शेवरलेट। उसे देख-देख बड़ा जी करता कि मौका मिले और उसे चलाऊँ। प्रधानमंत्री का लड़का था। कोई मामूली बात नहीं थी। सोचते-विचारते, कल्पना की उड़ान भरते एक दिन मौका मिल गया। धीरे-धीरे हिम्मत भी खुल गई थी ऑर्डर देने की। हमने बाबू जी के निजी सचिव से कहा- "सहाय साहब, जरा ड्राइवर से कहिए, इंपाला लेकर रेजिडेंस की तरफ आ जाएँ।"
दो मिनट में गाड़ी आकर दरवाजे पर लग गई। अनिल भैया ने कहा- "मैं तो इसे चलाऊँगा नहीं। तुम्हीं चलाओ।"
मैं आगे बढ़ा। ड्राइवर से चाभी माँगी। बोला-"तुम बैठो, आराम करो, हम लोग वापस आते हैं अभी।" 
(1) कृति पूर्ण कीजिए : 
(i) 
 

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'कृति पूर्ण कीजिए' जैसे प्रश्नों में, उत्तर को दिए गए प्रारूप (जैसे कि प्रवाह तालिका या बॉक्स) के अनुसार ही लिखना चाहिए। गद्यांश से सीधे वाक्य या वाक्यांश लेना सबसे सटीक होता है।
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Solution and Explanation

Step 1: Understanding the Concept:
प्रश्न में यह पूछा गया है कि लेखक ने ड्राइवर से चाबी लेने के बाद क्या कहा। इसका उत्तर गद्यांश की अंतिम पंक्ति में है।

Step 2: Detailed Explanation:
गद्यांश के अंत में लेखक कहता है, "मैं आगे बढ़ा। ड्राइवर से चाभी माँगी। बोला-'तुम बैठो, आराम करो, हम लोग वापस आते हैं अभी।'"
इस वाक्य को दो भागों में विभाजित करके कृति को पूर्ण किया जा सकता है।
1. तुम बैठो, आराम करो
2. हम लोग वापस आते हैं अभी

Step 3: Final Answer:
लेखक ने चाबी माँगकर ड्राइवर से कहा - "तुम बैठो, आराम करो, हम लोग वापस आते हैं अभी।"

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