Question:

निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए: 
क्रोध का असर सबसे भयावह होता है। यह केवल नीति और सद्बुद्धि की बात नष्ट नहीं करता, बल्कि बुद्धि का भी नाश कर देता है। किसी युवा पुरुष की स्मृति यदि दूषित हो जाएगी, तो उसकी कोई भी योजना—जो वह पिछले वर्षों के अनुभव के आधार पर और जल्दी-जल्दी तैयार करे—उन दिनों असफल हो जाएगी। लोक-हित की ओर न जाकर, वह निजी प्रतिहिंसा/दुराग्रह में बदल जाएगी और यदि प्रतिहिंसा न भी हो तो वह सस्ते ढंग से हँसा देने वाली मूर्ख वायु के समान होगी, जो उसे निरंतर उन्नति के स्थान पर अवनति की ओर ढकेल देगी। 
प्रश्न: 
(i) उपर्युक्त गद्यांश का संदर्भ लिखिए। 
(ii) गद्यांश के रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए। 
(iii) क्रोध का क्या प्रभाव होता है?

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व्याख्या-प्रश्न लिखते समय (a) प्रसंग—कहाँ/किस उद्देश्य से कहा गया, (b) व्याख्या—शब्दार्थ व आशय, (c) समापन—मुख्य संदेश—तीन खंडों में उत्तर लिखें।
Updated On: Oct 11, 2025
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Solution and Explanation

Step 1: प्रसंग (Context).
गद्यांश में लेखक यह सिद्ध करता है कि क्रोध मनुष्य की बौद्धिक-संरचना को सबसे अधिक क्षति पहुँचाता है; यह विषय आचरण-नीति/चरित्र-विकास के प्रसंग में उठाया गया है।

Step 2: रेखांकित अंश की व्याख्या.
(क) "बुद्धि का भी नाश कर देता है"—क्रोध क्षणिक आवेग में मन की विवेक-शक्ति छीन लेता है; परिणामस्वरूप सही-गलत का निर्णय भंग हो जाता है और निर्णय आवेग-प्रधान हो जाते हैं।
(ख) "सस्ते ढंग से हँसा देने वाली मूर्ख वायु"—क्रोध की दिशा लोक-हितकारी नहीं रहती; वह हल्के, अपरिपक्व, चंचल और दिखावटी व्यवहार में बदल जाती है, जो क्षणिक संतोष तो दे परन्तु दीर्घकालीन उन्नति में बाधक होती है।

Step 3: प्रभाव का निरूपण.
क्रोध: (i) नीति/सद्बुद्धि को निष्प्रभावी करता है, (ii) स्मृति और योजना-क्षमता को दूषित कर देता है, (iii) अनुभव-आधारित योजनाएँ भी असफल होने लगती हैं, (iv) व्यक्ति निजी प्रतिहिंसा/दुराग्रह में फँसकर अवनति की ओर लुढ़कता है।

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