Question:

'अग्निपूजा' खण्डकाव्य के पंचम सर्ग (राजसूय यज्ञ) का सारांश संक्षेप में लिखिए।

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सारांश को लिखते समय घटनाओं की क्रमबद्धता और उनके महत्व को अवश्य जोड़ें, ताकि उत्तर अधिक प्रभावी हो।
Updated On: Oct 28, 2025
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Solution and Explanation

'अग्निपूजा' खण्डकाव्य का पंचम सर्ग महाभारत के राजसूय यज्ञ प्रसंग का भावपूर्ण वर्णन करता है। जब पाण्डवों ने इन्द्रप्रस्थ को अपनी राजधानी बनाकर राज्य-शक्ति और वैभव अर्जित किया, तब युधिष्ठिर ने अपने पराक्रम और सामर्थ्य को प्रदर्शित करने हेतु राजसूय यज्ञ करने का निश्चय किया। इस यज्ञ का उद्देश्य केवल धार्मिक अनुष्ठान न होकर, पाण्डवों की सार्वभौम सत्ता की स्थापना भी था। यज्ञ के अवसर पर समस्त राजाओं, मुनियों, ब्राह्मणों और महापुरुषों को आमंत्रित किया गया। यज्ञ में सबको सम्मानित किया गया परंतु सबसे बड़ा सम्मान श्रीकृष्ण को प्रदान किया गया। यह घटना महाभारत के इतिहास में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि इससे स्पष्ट हुआ कि पाण्डव केवल सामर्थ्यवान ही नहीं, बल्कि धर्म और नीति के पक्षधर भी थे। राजसूय यज्ञ ने पाण्डवों की प्रतिष्ठा को और अधिक ऊँचा कर दिया। उनका साम्राज्य उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक अपनी शक्ति का परिचय देने लगा। लेकिन इसी घटना ने दुर्योधन और शकुनि के हृदय में ईर्ष्या और वैमनस्य की अग्नि को और भड़काया, जिसने आगे चलकर महाभारत के महान युद्ध का मार्ग प्रशस्त किया। 

निष्कर्ष: 
इस प्रकार, पंचम सर्ग केवल एक धार्मिक अनुष्ठान का चित्रण न होकर, पाण्डवों की बढ़ती शक्ति, श्रीकृष्ण की महत्ता और कौरव-पाण्डव संघर्ष की पृष्ठभूमि का सशक्त चित्रण प्रस्तुत करता है।

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