निम्नलिखित पठित काव्यांश को पढ़कर प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्पों को चुनिए :
कर चले हम फ़िदा जानो-तन साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों
साँस थमती गई, नब्ज़ जमती गई
फिर भी बढ़ते कदम को न रुकने दिया
कट गए सर हमारे तो कुछ ग़म नहीं
सर हिमालय का हमने न झुकने दिया
मरते-मरते रहा बाँकपन साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों.…
'सर हिमालय का हमने न झुकने दिया' - पंक्ति में हिमालय किसका प्रतीक है?
[(A)] भारत माता के मुकुट का
[(B)] उत्तर में स्थित पर्वत-श्रृंखला का
[(C)] देश की आन-बान और शान का
[(D)] देश के प्राकृतिक सौंदर्य का
समाधान:
इस पंक्ति में 'हिमालय' देश की आन-बान और शान का प्रतीक है। हिमालय को सदैव भारत के अभिमान और अस्मिता के रूप में देखा गया है क्योंकि यह पर्वत-शृंखला न केवल भौगोलिक रूप से देश की सुरक्षा करती है, बल्कि सांस्कृतिक और राष्ट्रीय गौरव का भी प्रतीक है। 'सर हिमालय का हमने न झुकने दिया' का अर्थ यह है कि देशवासियों ने अपने स्वाभिमान और सम्मान को कभी कम नहीं होने दिया, चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न आई हों। यह पंक्ति देशभक्ति और आत्मसम्मान की भावना को प्रबल करती है, जो हर भारतीय के दिल में घर करती है। इसलिए हिमालय का उल्लेख इस शेर में देश की शक्ति, गौरव और आत्म-सम्मान के प्रतीक के रूप में किया गया है।
'साँस थमती गई, नब्ज़ जमती गई' - पंक्ति के संदर्भ में सैनिकों की इस विपरित स्थिति का कारण है -
(A) मार्ग की थकावट और निद्रा
(B) ऊँची-ऊँची पर्वत-चोटियाँ
(C) युद्ध में घायल होना
(D) विपरीत प्राकृतिक परिस्थितियाँ
समाधान:
इस पंक्ति ‘साँस थमती गई, नब्ज़ जमती गई’ का अर्थ है कि सैनिकों की सांसें रुक रही थीं और धड़कन धीमी पड़ रही थी, जो सामान्य शारीरिक स्थिति नहीं है। यह विपरीत स्थिति युद्ध में घायल होने या अत्यधिक शारीरिक संघर्ष के कारण उत्पन्न होती है। यहाँ ‘साँस थमती गई’ और ‘नब्ज़ जमती गई’ से यह स्पष्ट होता है कि सैनिक गम्भीर रूप से घायल हो चुके थे या अपनी जान न्योछावर करने के कगार पर थे। युद्ध की कठिनाइयाँ, शारीरिक चोटें, और थकान इस विपरीत स्थिति के मुख्य कारण हैं। इसलिए इस पंक्ति के संदर्भ में सैनिकों की विपरीत स्थिति का कारण ‘युद्ध में घायल होना’ ही सही उत्तर है।
निम्नलिखित कथन तथा कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए। दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए।
कथन : सामने के खतरों के समक्ष साँसें रुकती थीं फिर भी दुश्मन से मुकाबला करने के लिए कदम बढ़ते ही जाते थे।
कारण : देश की स्वतंत्रता-सुरक्षा सैनिक के लिए सर्वोपरी थी।
(A) कथन सही है और कारण उसकी सही व्याख्या है।
(B) कथन और कारण दोनों गलत हैं।
(C) कथन सही है, किंतु कारण गलत है।
(D) कथन गलत है, किंतु कारण सही है।
समाधान:
यह कथन पूरी तरह सही है क्योंकि कवि ने बहुत ही सजीव तरीके से उस परिस्थिति का चित्रण किया है जहाँ सैनिकों की साँसें थमने लगीं और शरीर कमजोर पड़ गया, फिर भी वे डटकर दुश्मन का सामना करते रहे। यह दिखाता है कि सैनिकों की वीरता और साहस अद्भुत था। कारण भी सही व्याख्या है क्योंकि देश की स्वतंत्रता और सुरक्षा सैनिकों के लिए सबसे महत्वपूर्ण थी। यही भाव उन्हें हर तरह की कठिनाई और खतरे के बावजूद आगे बढ़ने और अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए प्रेरित करता था। इस प्रकार, कथन और कारण दोनों सही हैं और कारण कथन की सटीक व्याख्या करता है। यह हमें देशभक्ति और समर्पण की भावना से प्रेरित करता है।
shaheed hone wale शहीद होने वाले सैनिक को किस बात का गर्व है?
(A) देश को सुरक्षित हाथों में सौंपने का
(B) आखिरी साँस तक देश की रक्षा करने का
(C) देश की सीमा पर बलिदान देने का
(D) शत्रु को देश में न आने देने का
समाधान:
शहीद होने वाले सैनिक को सबसे अधिक गर्व अपनी देशभक्ति और समर्पण पर होता है कि उसने आखिरी साँस तक देश की रक्षा की। वह जानता है कि उसके बलिदान से देश की सुरक्षा सुनिश्चित होती है और उसकी सीमाएँ सुरक्षित रहती हैं। सैनिक का यह साहस और निष्ठा देश के प्रति उसके अटूट प्रेम को दर्शाती है। इसलिए, शहीद होने वाले सैनिक को यह गर्व होता है कि उसने अपने प्राण न्यौछावर कर देश की रक्षा की, जो कि सबसे बड़ा सम्मान और कर्तव्य होता है। यह भावना सैनिकों को अदम्य साहस और देशभक्ति से भर देती है।
'कर चले हम फ़िदा जानो-तन साथियों' - पंक्ति के संदर्भ में 'फ़िदा' शब्द का अर्थ है -
(A) भेंट देना
(B) मोहित होना
(C) लुटाना
(D) बलिदान करना
समाधान:
पंक्ति 'कर चले हम फ़िदा जानो-तन साथियों' में 'फ़िदा' शब्द का अर्थ है बलिदान करना। इसका मतलब है कि सैनिक अपने जीवन और शरीर को देश की आज़ादी और सुरक्षा के लिए न्यौछावर कर देते हैं। यह शब्द गहरे सम्मान और समर्पण की भावना को दर्शाता है, जहाँ व्यक्ति अपने प्राणों की परवाह किए बिना अपने देश के लिए समर्पित हो जाता है। इसलिए, यहाँ 'फ़िदा' का सही अर्थ 'बलिदान करना' ही है।
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपवूर्क पढ़कर उस पर आधािरत पछे गए प्रश्नों के उत्तर :
गीत कह रहे हैंअपने िदनांक
चालूदुःखों और में है
िजन की जो हकदारी बनती है
उसे अिनवायर्तौर पर
सौंप दी जाए तुरंत
तीसरे स्तंभ के प्रमुख,
िक उन्हें लग रही है शंका
अभी के िलए मलभू त हक़ों में है :
जीने का भी हक़ ।
***
सब खोले रखने अिनवायर्
तभी तो आपात दशा पड़े
बाहर के पैग़ाम
िहलती िदखें सींवरें ,
धलों से ढका रहे चेहरा ू
फलों से गवाही
िवशालकाय गीत अटूट सत्य
गाथा-गाथी-सी िवस्तृत
और मनुष्य के मेघ,
बाहर बने रहे यह देखें ,
नहीं समय की झािड़यों में , नहीं नीचे
पुस्तक वाली आंखों एक अदृश्य तर
लकीर, बना रहे वही जो िवस्तृत
और अनंत तक फै ला है
बस उन्हीं के हवाले है ।
निम्नलिखित पठित काव्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प का चयन कीजिए :
हमारे हरि हारिल की लकरी।
मन क्रम बचन नंद-नंदन उर, यह दृढ़ करि पकरी।
जागत सोवत स्वप्न दिवस-निसि, कान्ह-कान्ह जकरी।
सुनत जोग लागत है ऐसी, ज्यों करुई ककरी।
सु तो ब्याधि हमकौं लै आए, देखी सुनी न करी।
यह तो 'सूर' तिनहिं लै सौंपौ, जिनके मन चकरी।।
निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्पों का चयन कीजिए :
काव्यांश :
पावस ऋतुथी, पर्वत प्रदेश,
पल–पल परिवर्तित प्रकृति–वेश ।
मेघालंकार पर्वत अपार
अपने सहस्त्र धुंआ–सुमन फाड़,
अवलोक रहा है बार–बार
नीचे जल मेंनिज महाकार,
जिसके चरणों में पला ताल
दर्पण–सा फै ला हैविशाल !
निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर दिए गए बहुविकल्पी प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्पों को चुनकर लिखिए :
कंपनी बाग के मुहाने पर धर रखी गई है यह 1857 की तोप इसकी होती है बड़ी सम्हाल, विरासत में मिले कंपनी बाग की तरह
साल में चमकाई जाती है दो बार।
सुबह-शाम कंपनी बाग में आते हैं बहुत से सैलानी उन्हें बताती है यह तोप
कि मैं बड़ी जबर
उड़ा दिए थे मैंने
अच्छे-अच्छे सूरमाओं के धज्जे
अपने ज़माने में
कबीर के, निंदक को पास रखने वाले विचार से आप कहां तक सहमत हैं और क्यों?