Question:

‘सूरदास की झोपड़ी’ पाठ सूरदास जैसे लाचार और बेबस व्यक्ति की जिजीविषा एवं उसके संघर्ष का अनूठा चित्रण है। सिद्ध कीजिए। 
 

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‘सूरदास की झोपड़ी’ यह सिखाती है कि आत्मबल और आत्मसम्मान से परिपूर्ण जीवन ही सच्चा जीवन होता है — भले ही वह सुविधाओं से रहित क्यों न हो।
Updated On: Jul 18, 2025
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Solution and Explanation

‘सूरदास की झोपड़ी’ पाठ में सूरदास जैसे एक नेत्रहीन, निर्धन, और असहाय व्यक्ति की मार्मिक कथा प्रस्तुत की गई है, जो समाज के हाशिए पर रहने वालों का प्रतिनिधित्व करता है।
सूरदास शारीरिक रूप से अक्षम होने के बावजूद मानसिक रूप से अत्यंत दृढ़ और आत्मनिर्भर व्यक्ति है।
उसके जीवन में अनेक कठिनाइयाँ हैं — गरीबी, अपमान, सामाजिक तिरस्कार — फिर भी वह कभी किसी से सहायता या दया की अपेक्षा नहीं करता।
वह झोपड़ी में अकेला रहता है, परंतु उसकी आत्मा में आत्मबल और स्वाभिमान की ज्योति जलती है।
वह गाँव के लोगों द्वारा बार-बार उपेक्षित होने पर भी उन्हें शुभकामनाएँ देता है और किसी से कटुता नहीं रखता।
उसका संघर्ष यह दिखाता है कि परिस्थितियाँ चाहे जितनी प्रतिकूल हों, यदि व्यक्ति में साहस, धैर्य और आत्मविश्वास हो, तो वह जीवन को गरिमा के साथ जी सकता है।
यह पाठ मानवीय करुणा, आत्मबल और संघर्ष की प्रेरणादायक गाथा है।
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