Question:

'व्याख्या करें : "सदियों की ठंडी - बुझी राख सुगबुगा उठी, मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है ।"'

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समाज में बदलाव के लिए निरंतर संघर्ष और प्रयास जरूरी होते हैं, जिससे पिछड़े वर्गों को उनके अधिकार मिलते हैं और समाज में समृद्धि आती है।
Updated On: Nov 10, 2025
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Solution and Explanation

यह पंक्ति भारतीय समाज में हो रहे बदलावों और संघर्षों के प्रतीक रूप में है। "सदियों की ठंडी-बुझी राख" का अर्थ है उन संघर्षों, कष्टों और दमन की प्रक्रिया से, जो इतिहास के पन्नों में समाहित हैं। ये संघर्ष अब तक शांत पड़े थे, लेकिन अब वे "सुगबुगा उठी" अर्थात फिर से जागृत हो गए हैं और बदलाव के संकेत दे रहे हैं। यह पंक्ति यह भी दर्शाती है कि यह बदलाव सिर्फ भूतकाल की छायाएँ नहीं, बल्कि आने वाले उज्जवल भविष्य के संकेत हैं। "मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है" का अर्थ है कि गरीब और अवहेलित समाज अब अपने अधिकारों और अवसरों की प्राप्ति के बाद अपनी स्थिति में बदलाव महसूस कर रहा है। यह समाज के उत्थान और आत्मसम्मान की ओर बढ़ने का प्रतीक है, जिससे यह समाज अब गर्व महसूस कर रहा है। यह पंक्ति समाज में आ रहे क्रांतिकारी बदलाव, नायकत्व और विजय की भावना को स्पष्ट करती है।
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