Comprehension

विषुवत् रेखा का वासी जो, 
जीता है नित हॉफ-हॉफ कर। 
रखता है अनुराग अलौकिक, 
वह भी अपनी मातृभूमि पर।। 
ध्रुववासी जो हिम में तम में, 
जी लेता है काँप-काँप कर। 
वह भी अपनी मातृभूमि पर, 
कर देता है प्राण निछावर।। 
 

Question: 1

उपयुक्त पद्यांश का सन्दर्भ लिखिए।

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सन्दर्भ लिखते समय कवि का नाम, रचना का नाम और उसकी मूल भावना का सार देना आवश्यक होता है।
Updated On: Oct 27, 2025
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Solution and Explanation

यह पद्यांश कवि सुमित्रानंदन पंत की कविता से लिया गया है। इस कविता में कवि ने देशप्रेम और मातृभूमि के प्रति समर्पण की भावना को प्रकट किया है। कवि कहता है कि चाहे कोई विषुवत् रेखा (equator) के पास रहता हो या ध्रुव प्रदेश की अत्यधिक ठंड में, सच्चा देशभक्त हमेशा अपनी मातृभूमि के प्रति प्रेम और त्याग की भावना रखता है।
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Question: 2

विषुवत् रेखा का वासी कैसा जीवन व्यतीत करता है? उपयुक्त पद्यांश के आधार पर लिखिए।

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उत्तर लिखते समय तुलना को स्पष्ट रूप से दर्शाएँ — जैसे "विषुवत् रेखा का वासी" बनाम "ध्रुववासी" का जीवन।
Updated On: Oct 27, 2025
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Solution and Explanation

कवि के अनुसार, विषुवत् रेखा का वासी व्यक्ति सदा गर्म जलवायु में रहता है, जहाँ न तो अत्यधिक ठंड होती है और न ही अत्यधिक गर्मी। वह अपने जीवन में आधे-अधूरे सुख-दुःख के बीच जीता है — "जीता है नित हॉफ-हॉफ कर"। अर्थात् उसका जीवन संतुलित तो है, परन्तु उसमें कोई विशेष उत्साह या त्याग नहीं दिखता। जबकि सच्चा देशभक्त कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी अपने देश के लिए त्याग कर देता है।
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Question: 3

रेखांकित अंश - 'अनुराग अलौकिक' तथा 'हिम में, तम में' में कौन-सा अलंकार है?

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यदि किसी शब्द के साथ किसी गुण या वस्तु की तुलना की जाए तो रूपक अलंकार होता है; और यदि वर्णों की पुनरावृत्ति हो तो अनुप्रास।
Updated On: Oct 27, 2025
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Solution and Explanation

'अनुराग अलौकिक' में रूपक अलंकार है — यहाँ देशप्रेम को अलौकिक (अर्थात् दिव्य) कहा गया है। प्रेम और दिव्यता का तादात्म्य रूपक अलंकार का लक्षण है। 'हिम में, तम में' में अनुप्रास अलंकार है — क्योंकि यहाँ 'म' वर्ण की पुनरावृत्ति से काव्य में मधुरता और संगीतात्मकता उत्पन्न हुई है।
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