निम्नलिखित पिठत पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृितयाँ कीिजए : घन घमंड नभ गरजत घोरा। प्रिया हीन डरपत मन मोरा ॥
दामिनि दमक रहहिं घन माहीं। खल कै प्रीति जथा थिर नाहीं ॥
बरषहिं जलद भूमि निअराएँ। जथा नवहिं बुध विद्या पाएँ ॥
बूँद अघात सहहिं गिरि कैसे। खल के बचन संत सह जैसे ॥
छुद्र नदी भरि चली तोराई। जस थोरेहुँ धन खल इतराई ॥
भूमि परत भा ढाबर पानी। जनु जीवहिं माया लपटानी ॥
समिटि-समिटि जल भरहिं तलावा। जिमि सदगुन सज्जन पहिं आवा ॥
सरिता जल जलनिधि महुँ जाई। होई अचल जिमि जिव हरि पाई ॥
(1)उत्तर लिखिए :
\[\begin{array}{|l|l|l|} \hline (i) & गरजने वाले & - \dots\dots\dots\dots\dots\dots\dots\dots \\ \text{(ii)} & \text{चमकने वाली} & \text{- \dots\dots\dots\dots\dots\dots\dots\dots} \\ \hline \text{(iii)} & \text{बूँद के आघात सहने वाले} & \text{- \dots\dots\dots\dots\dots\dots\dots\dots} \\ \hline \text{(iv)} & \text{दुष्ट के वचन सहने वाले} & \text{- \dots\dots\dots\dots\dots\dots\dots\dots} \\ \hline \end{array}\]
Step 1: Understanding the Concept:
हमें पद्यांश की पंक्तियों के आधार पर बताना है कि कौन क्या कर रहा है।
Step 2: Detailed Explanation:
(i) गरजने वाले: पहली पंक्ति में लिखा है "घन घमंड नभ गरजत घोरा।" - तो गरजने वाले घन (बादल) हैं।
(ii) चमकने वाली: दूसरी पंक्ति में है "दामिनि दमक रहहिं घन माहीं।" - तो चमकने वाली दामिनि (बिजली) है।
(iii) बूँद के आघात सहने वाले: चौथी पंक्ति में है "बूँद अघात सहहिं गिरि कैसे।" - तो आघात सहने वाले गिरि (पर्वत) हैं।
(iv) दुष्ट के वचन सहने वाले: चौथी पंक्ति में तुलना की गई है "खल के बचन संत सह जैसे।" - तो वचन सहने वाले संत हैं।
Step 3: Final Answer:
\[\begin{array}{|l|l|l|} \hline (i) & गरजने वाले & - घन (बादल) \\ \text{(ii)} & \text{चमकने वाली} & \text{- दामिनि (बिजली)} \\ \hline \text{(iii)} & \text{बूँद के आघात सहने वाले} & \text{- गिरि (पर्वत)} \\ \hline \text{(iv)} & \text{दुष्ट के वचन सहने वाले} & \text{- संत} \\ \hline \end{array}\]
निम्नलिखित पिठत पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृितयाँ कीिजए :
जीवन नैया
मँझधार में डोले,
सँभाले कौन ?
रंग-बिरंगे
रंग-संग लेकर
आया फागुन।
काँटों के बीच
खिलखिलाता फूल
देता प्रेरणा।
(1)(ii) आकृति पूर्ण कीजिए :

निम्नलिखित पिठत पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृितयाँ कीिजए :
जीवन नैया
मँझधार में डोले,
सँभाले कौन ?
रंग-बिरंगे
रंग-संग लेकर
आया फागुन।
काँटों के बीच
खिलखिलाता फूल
देता प्रेरणा।
(1)आकृति पूर्ण कीजिए :
(i)

निम्नलिखित पिठत पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृितयाँ कीिजए : विजय केवल लोहे की नहीं, धर्म की रही धरा पर धूम
भिक्षु होकर रहते सम्राट, दया दिखलाते घर-घर घूम।
'यवन' को दिया दया का दान, चीन को मिली धर्म की दृष्टि
मिला था स्वर्ण भूमि को रत्न, शील की सिंहल को भी सृष्टि।
किसी का हमने छीना नहीं, प्रकृति का रहा पालना यहीं
हमारी जन्मभूमि थी यहीं, कहीं से हम आए थे नहीं।......
चरित थे पूत, भुजा में शक्ति, नम्रता रही सदा संपन्न
हृदय के गौरव में था गर्व, किसी को देख न सके विपन्न।
(2)(i) पद्यांश से लय-ताल युक्त शब्द ढूँढ़कर लिखिए :
निम्नलिखित पिठत पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृितयाँ कीिजए : विजय केवल लोहे की नहीं, धर्म की रही धरा पर धूम
भिक्षु होकर रहते सम्राट, दया दिखलाते घर-घर घूम।
'यवन' को दिया दया का दान, चीन को मिली धर्म की दृष्टि
मिला था स्वर्ण भूमि को रत्न, शील की सिंहल को भी सृष्टि।
किसी का हमने छीना नहीं, प्रकृति का रहा पालना यहीं
हमारी जन्मभूमि थी यहीं, कहीं से हम आए थे नहीं।......
चरित थे पूत, भुजा में शक्ति, नम्रता रही सदा संपन्न
हृदय के गौरव में था गर्व, किसी को देख न सके विपन्न।
(1) कृति पूर्ण कीजिए :

पुरुषस्य सततं भूषणं किम् ?