Question:

‘तोड़ो’ कविता का कवि किन झूठे बंधनों को तोड़ने की बात कर रहा है ? उसने धरती के प्रति कैसे भाव व्यक्त किए हैं ?

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कविता के सामाजिक और प्राकृतिक पक्ष दोनों का संतुलित विश्लेषण करें।
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Solution and Explanation

‘तोड़ो’ कविता में कवि समाज में व्याप्त झूठे रीति-रिवाज, परंपराएँ, संकीर्णता और छलावे के बंधनों को तोड़ने की बात करता है। ये बंधन मनुष्य की चेतना को जकड़े हुए हैं और उसे स्वाधीन सोच से वंचित रखते हैं।
कवि का आह्वान है कि इन कृत्रिम सामाजिक व्यवस्थाओं को तोड़कर मनुष्य को अपनी स्वतंत्र पहचान बनानी चाहिए। कविता विद्रोह और नवचेतना का प्रतीक है, जो कवि की क्रांतिकारी चेतना को दर्शाती है।
धरती के प्रति कवि के भाव अत्यंत करुणा और संवेदनशीलता से भरे हैं। वह धरती को केवल एक भौतिक वस्तु नहीं, बल्कि जीवनदायिनी ‘माँ’ के रूप में देखता है। वह चाहता है कि मनुष्य धरती का दोहन न करे, बल्कि उसके साथ सह-अस्तित्व की भावना बनाए।
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