Comprehension

उपयुक्त गद्यांश से सम्बंधित दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए। 
गद्यांश:
इच्छाएँ नाना हैं और नाना भिन्न विधियाँ हैं और वे उसे प्रबल रखती हैं। इस प्रवृत्ति से वह बार-बार चक्कर खाता है और निवृत्ति चाहता है। यह प्रवृत्ति और निवृत्ति का चक्र उसके हृदय से थकान मिटाता है, किंतु इस संसार की अभी राग-भोग से वह चाहता है कि अगले क्षण उतने ही भाव-विकार से वह उसका विनाश चाहता है।

Question: 1

प्रवृत्ति-निवृत्ति के चक्र में फँसा मनुष्य क्यों रह जाता है?

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जीवन में इच्छाओं पर संयम रखना आवश्यक है, ताकि मानसिक शांति बनी रहे।
Updated On: Nov 10, 2025
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मनुष्य अपनी इच्छाओं और उनके परिणामों से बँधा रहता है, जिससे वह बार-बार **प्रवृत्ति और निवृत्ति** के चक्र में फँस जाता है।
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Question: 2

प्रेम और ईर्ष्या की वासनाओं में पड़कर मनुष्य की स्थिति कैसी हो जाती है?

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मानव को भावनाओं के उतार-चढ़ाव को संतुलित रखना चाहिए।
Updated On: Nov 10, 2025
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मनुष्य प्रेम और ईर्ष्या की वासनाओं में पड़कर मानसिक रूप से अशांत और अस्थिर हो जाता है।
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Question: 3

रेखांकित अंश का आशय लिखिए।

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गद्यांश की व्याख्या करते समय उसके संदर्भ और मुख्य विचार को समझना आवश्यक है।
Updated On: Nov 10, 2025
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Solution and Explanation

गद्यांश का यह अंश यह स्पष्ट करता है कि मनुष्य की इच्छाएँ उसे कभी संतोष करने नहीं देतीं और वह निरंतर मानसिक उथल-पुथल में रहता है।
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