'तुमुल' खण्डकाव्य के 'युद्धासन्न सौमित्रि' सर्ग में लक्ष्मण के चरित्र के वीर पक्ष, उनके अंतर्मन के भावों और युद्ध के लिए उनकी तैयारी का ओजस्वी वर्णन किया गया है। 'युद्धासन्न सौमित्रि' का अर्थ है 'युद्ध के लिए तैयार लक्ष्मण'।
Step 1: The Context:
यह सर्ग उस समय का है जब राम-रावण युद्ध चल रहा है और लंका के बड़े-बड़े वीर मारे जा चुके हैं। अब रावण अपने सबसे वीर पुत्र मेघनाद को युद्ध के लिए भेजता है। मेघनाद के युद्ध में आने के समाचार से राम की सेना में हलचल मच जाती है।
Step 2: Lakshman's Reaction and Resolve:
जब लक्ष्मण को मेघनाद के युद्ध में आने का समाचार मिलता है, तो वे क्रोध और वीरता से भर उठते हैं। वे मेघनाद के अहंकार को चूर-चूर करने का संकल्प लेते हैं। इस सर्ग में लक्ष्मण के शौर्य, पराक्रम और श्रीराम के प्रति उनकी अनन्य भक्ति का चित्रण किया गया है। वे श्रीराम से मेघनाद से युद्ध करने की आज्ञा माँगते हैं।
Step 3: The Canto's Essence:
इस सर्ग में लक्ष्मण के मन में उठ रहे विचारों को दर्शाया गया है। वे सोचते हैं कि मेघनाद ने छल से युद्ध किया है और देवताओं को भी कष्ट दिया है। वे धर्म की स्थापना और अधर्म के नाश के लिए युद्ध करने को आतुर हैं। श्रीराम उन्हें समझाते हैं और उन्हें युद्ध के लिए विदा करते हैं। यह सर्ग लक्ष्मण के वीर, तेजस्वी और कर्त्तव्यनिष्ठ रूप को प्रमुखता से उजागर करता है और आने वाले भयंकर युद्ध की भूमिका तैयार करता है।