'त्यागपथी' खण्डकाव्य में भगत सिंह के बलिदान और स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका को प्रमुखता दी गई है। इनमें से एक महत्वपूर्ण घटना असेंबली बम कांड है।
असेंबली में बम फेंकना:
भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने 8 अप्रैल 1929 को ब्रिटिश असेंबली में बम फेंककर अंग्रेजों को यह संदेश दिया कि भारत अब अन्याय सहन नहीं करेगा।
इंकलाब जिंदाबाद का नारा:
उन्होंने विस्फोट के बाद 'इंकलाब जिंदाबाद' और 'साम्राज्यवाद मुर्दाबाद' के नारे लगाए, जिससे भारतीय युवाओं में स्वतंत्रता की नई चेतना जागी।
न्यायालय में निर्भीकता:
गिरफ्तारी के बाद भगत सिंह ने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध अपनी विचारधारा को निर्भीकता से प्रस्तुत किया।
फाँसी की सजा और बलिदान:
23 मार्च 1931 को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फाँसी दी गई। उनका यह बलिदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में मील का पत्थर साबित हुआ।
युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा:
भगत सिंह का बलिदान भारत के युवाओं के लिए क्रांतिकारी आदर्श और राष्ट्रप्रेम की प्रेरणा बन गया।
यह घटना 'त्यागपथी' खण्डकाव्य में त्याग, बलिदान और राष्ट्रभक्ति की भावना को अभिव्यक्त करती है।