'आलोक - वृत्त' खण्डकाव्य में असहयोग आंदोलन की घटना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में वर्णित की गई है। इस आंदोलन के प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं:
आंदोलन का आरंभ:
1920 में महात्मा गाँधी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन प्रारंभ हुआ। इसका उद्देश्य ब्रिटिश शासन के विरुद्ध अहिंसात्मक विरोध करना था।
ब्रिटिश शासन से असहयोग:
इस आंदोलन के अंतर्गत भारतीयों से आग्रह किया गया कि वे ब्रिटिश सरकार से किसी भी प्रकार का सहयोग न करें। सरकारी नौकरियाँ, अंग्रेजी विद्यालय, न्यायालय और विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार किया गया।
स्वदेशी आंदोलन को बढ़ावा:
गाँधीजी ने भारतीयों को खादी पहनने और स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने का आग्रह किया। लोगों ने विदेशी वस्त्रों की होली जलाई और आत्मनिर्भर बनने का संकल्प लिया।
जनता का व्यापक समर्थन:
यह आंदोलन जन-जन का आंदोलन बन गया। किसान, मजदूर, छात्र और महिलाएँ इसमें बढ़-चढ़कर भाग लेने लगे।
चौरी-चौरा घटना और आंदोलन की समाप्ति:
1922 में चौरी-चौरा की हिंसक घटना के बाद गाँधीजी ने यह आंदोलन वापस ले लिया, क्योंकि वे अहिंसा के सिद्धांत से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करना चाहते थे।
असहयोग आंदोलन ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नया मोड़ दिया और ब्रिटिश सरकार को यह एहसास कराया कि भारतीय जनता अब स्वतंत्रता के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है।