'तुमुल' खण्डकाव्य के तृतीय सर्ग ('शक्ति-भेद') का सारांश
'तुमुल' खण्डकाव्य का तृतीय सर्ग राम-रावण युद्ध की एक अत्यंत मार्मिक घटना पर आधारित है।
लंका के युद्ध-क्षेत्र में रावण का पराक्रमी पुत्र मेघनाद युद्ध के लिए आता है। वह मायावी शक्तियों में निपुण है। उसका लक्ष्मण से भयंकर युद्ध होता है। लक्ष्मण अपने शौर्य से मेघनाद के सभी अस्त्र-शस्त्रों को विफल कर देते हैं और उसे व्याकुल कर देते हैं।
जब मेघनाद देखता है कि वह सीधे युद्ध में लक्ष्मण को पराजित नहीं कर सकता, तो वह अपनी मायावी शक्ति का प्रयोग करता है। वह बादलों में छिप जाता है और वहीं से लक्ष्मण पर अमोघ 'वीरघातिनी शक्ति' का प्रहार करता है। उस दिव्य शक्ति के प्रहार से लक्ष्मण मूर्छित होकर पृथ्वी पर गिर पड़ते हैं।
लक्ष्मण को मूर्छित देखकर श्रीराम की सेना में शोक की लहर दौड़ जाती है। स्वयं भगवान राम भी अपने भाई की यह दशा देखकर एक साधारण मनुष्य की भाँति विलाप करने लगते हैं। उनका यह विलाप अत्यंत करुण और हृदय-विदारक है।
तभी विभीषण बताते हैं कि सूर्योदय से पूर्व संजीवनी बूटी लाने से ही लक्ष्मण के प्राण बच सकते हैं। यह सुनकर हनुमान जी तुरंत संजीवनी लाने के लिए द्रोण पर्वत की ओर प्रस्थान करते हैं। यह सर्ग लक्ष्मण की वीरता और श्रीराम के अपार भ्रातृ-प्रेम को दर्शाता है।