'तुमुल' खण्डकाव्य में मेघनाद (इन्द्रजीत) का चरित्र एक वीर, पराक्रमी, तेजस्वी और पितृभक्त योद्धा के रूप में चित्रित किया गया है। उसकी चारित्रिक विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
अतुलनीय वीर एवं पराक्रमी: मेघनाद लंका का सबसे वीर और शक्तिशाली योद्धा है। उसने अपने पराक्रम से देवराज इन्द्र को भी पराजित कर बन्दी बना लिया था, जिस कारण उसका नाम 'इन्द्रजीत' पड़ा। वह युद्ध-कला में अत्यंत निपुण है और उसके रण-कौशल से शत्रु सेना भयभीत रहती है।
महान पितृभक्त: मेघनाद अपने पिता रावण का बहुत आदर करता है और उनकी आज्ञा को सर्वोपरि मानता है। वह अपने पिता के सम्मान की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान करने को भी सदैव तत्पर रहता है।
कर्त्तव्यनिष्ठ एवं राष्ट्रभक्त: वह एक कर्त्तव्यनिष्ठ पुत्र और सच्चा राष्ट्रभक्त है। जब लंका पर संकट आता है, तो वह अपने व्यक्तिगत सुखों और पत्नी के प्रेम को त्यागकर राष्ट्र-रक्षा के कर्त्तव्य को प्राथमिकता देता है।
मायावी शक्तियों का ज्ञाता: मेघनाद तंत्र-मंत्र और मायावी युद्ध-कला का ज्ञाता है। वह अदृश्य होकर युद्ध करने में माहिर है। अपनी इन्हीं शक्तियों का प्रयोग करके वह युद्ध में लक्ष्मण को शक्ति-बाण से मूर्छित कर देता है।
अहंकारी: अपने बल और पराक्रम पर उसे अत्यधिक गर्व है, जो उसके चरित्र में अहंकार का भाव लाता है। वह राम और लक्ष्मण को साधारण मनुष्य समझकर उनकी शक्ति को कम आँकता है।