श्री श्यामनारायण पाण्डेय द्वारा रचित 'तुमुल' खण्डकाव्य रामकथा के लंकाकाण्ड की एक महत्वपूर्ण घटना पर आधारित है। इसका कथानक लक्ष्मण और मेघनाद के युद्ध के आस-पास केंद्रित है।
खण्डकाव्य का प्रारम्भ लंका में रावण की चिंता से होता है, जब उसके अनेक वीर पुत्र और योद्धा राम-लक्ष्मण की सेना द्वारा मारे जा चुके हैं। तब रावण अपने अजेय पुत्र मेघनाद को युद्ध के लिए भेजता है। मेघनाद अपनी पत्नी सुलोचना से विदा लेकर भयंकर गर्जना करता हुआ युद्धभूमि में प्रवेश करता है।
राम-लक्ष्मण की सेना में मेघनाद के आगमन से हाहाकार मच जाता है। वह अपने पराक्रम और मायावी शक्तियों से वानर सेना को भारी क्षति पहुँचाता है। हनुमान और अंगद जैसे वीर भी उसके वेग को रोकने में कठिनाई अनुभव करते हैं।
तब श्रीराम की आज्ञा से लक्ष्मण, मेघनाद का सामना करने के लिए आगे बढ़ते हैं। लक्ष्मण और मेघनाद के बीच अत्यंत भयंकर और 'तुमुल' (कोलाहलपूर्ण) युद्ध होता है। दोनों योद्धा अपने-अपने दिव्य अस्त्र-शस्त्रों का प्रयोग करते हैं। मेघनाद अपनी माया का प्रयोग कर लक्ष्मण को भ्रमित करने का प्रयास करता है, परन्तु लक्ष्मण अडिग रहते हैं।
अंत में, विभीषण की सहायता से लक्ष्मण, मेघनाद की यज्ञ-स्थली को भंग कर देते हैं और एक निर्णायक युद्ध में उसका वध कर देते हैं। मेघनाद की मृत्यु से रावण की शक्ति का अंत हो जाता है और राम की सेना में विजय का उल्लास छा जाता है। इस प्रकार, यह खण्डकाव्य लक्ष्मण के शौर्य और पराक्रम की गाथा है।